लखनऊ/बागपत। जेल के बाहर हो या अंदर, हमेशा लोगों से घिरा रहने वाला कुख्यात सुनील राठी माफिया डॉन बजरंगी की हत्या के बाद तन्हा हो गया है। छत पर मंद गति से झूलते पंखे के नीचे एक मैली-कुचैली चद्दर पर बैठा राठी दो दिनों से तन्हाई बैरक में बार-बार घड़ी देखता है। उसकी तन्हाई बताती है कि वह किसी न किसी बात को लेकर बेहद परेशान है। जेल प्रशासन ने राठी से मिलने वालों पर रोक लगा दी है। राठी जब से तनहाई में है तब से अन्न का दाना पेट में नहीं गया है। हालांकि राठी ने खुद ही बैरक में अकेला रहने की इच्छा जाहिर की थी।
होती थी वीआइपी मुलाकात
तन्हाई बैरक में तन्हा
जेल प्रशासन ने जेल में बंद अन्य कुख्यातों को तन्हाई बैरक से हटाकर सामान्य बैरक में शिफ्ट कर दिया है। सिर्फ सुनील राठी को तन्हाई बैरक में रखा गया है। सूत्रों की मानें तो, अन्य कुख्यातों को भी राठी से जान का खतरा सताने लगा था। इसे देखते हुए सोमवार रात को ही अधिकारियों ने विक्की सुन्हैड़ा, अनुज बरखा व रवि गांगनौली को बैरक में भेज दिया था। अब तन्हाई के 10 बैरकों में से एक में सुनील अकेला है। वह न किसी बंदी या सजायाफ्ता से बात कर रहा है और न ही जेल के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी से।
मुलाकात पर रोक
जेल प्रशासन ने राठी से मिलने वालों पर भी रोक लगा दी है। परिजन हो या परिचित किसी को भी उससे मिलने नहीं दिया जा रहा है। समय-समय पर खाना व पानी तन्हाई बैरक में सुरक्षा के बीच पहुंचाया जा रहा है। सुरक्षा को अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किया गया है। जेल अधीक्षक विपिन मिश्रा ने बताया कि राठी को किसी से नहीं मिलने दिया जा रहा है।
दो दिन से भूखा राठी
सूत्रों के मुताबिक, सुनील राठी खाने-पीने में कभी कोई कोताही नहीं बरतता था। बैरक में उसका कामकाज करने वाले बंदियों की भी खाने को लेकर मौज रहती थी, लेकिन मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद जैसे ही राठी को बैरक में अकेला छोड़ा गया तब से वह भूखा-प्यासा है। चाय-पानी के अलावा राठी ने अन्न का एक टुकड़ा तक नहीं तोड़ा है। सूत्र बताते हैं, राठी ने खुद ही बैरक में अकेला रहने की भी इच्छा जाहिर की थी। उसका कहना था वह अकेला ही रहना चाहता है उसे अकेला छोड़ा जाए।
मिलीभगत से तो नहीं हत्या
मुन्ना बजरंगी की जिस तरह से जेल में हत्या हुई है इससे साफ पता चलता है कि वारदात पूरे प्लान के तहत की गई है। इसमें कारागार प्रशासन की मिलीभगत भी हो सकती है? सवाल उठ रहे हैं कि बिना अदालत के आदेश के मुन्ना बजरंगी को बागपत जेल में क्यो ले जाया गया। जेल के अंदर पिस्टल कैसे पहुंची। मुन्ना बजरंगी को अलग बैरक में क्यो नहीं रखा गया। परिजन तो पहले आरोप लगा चुके हैं कि हत्या शासन-प्रशासन के इशारे पर की गई है।
उच्चाधिकारियों का आना-जाना
उच्चाधिकारी बागपत जेल में आते है और बंद कमरों में घंटों जांच पड़ताल कर चले जाते है। इस हत्या से जेल प्रशासन से जुड़े किसी सदस्य की विभीषण जैसी भूमिका का भी पता चलता है। जेल में सुनील तक पहुंची पिस्टल और भारी मात्रा में कारतूस हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रही है। सुनील राठी को पल-पल की जानकारी मिल जाती है। जेल से फोटो वायरल होना भी तमाम सवाल खडे कर रहा है।