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निलंबन का आधार यदि विचारधारा से प्रभावित होने लगेगा तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और परतंत्रता में क्या अंतर रह जाएगाः आजमी के समर्थन में आए अखिलेश यादव बोले

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने मुगल शासक औरंगजेब की प्रशंसा करने वाली उनकी हालिया विवादास्पद टिप्पणी को लेकर पार्टी विधायक अबू आजमी को महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित किए जाने पर बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अखिलेश यादव ने अबू आजमी का समर्थन करते हुए एक ट्वीट किया। अखिलेश ने अपने पोस्ट में कहा कि निलंबन का आधार यदि विचारधारा से प्रभावित होने लगेगा तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और परतंत्रता में क्या अंतर रह जाएगा। हमारे विधायक हों या सांसद उनकी बेख़ौफ़ दानिशमंदी बेमिसाल है।

सपा नेता ने आगे कहा कि कुछ लोग अगर सोचते हैं कि ‘निलंबन’ से सच की ज़ुबान पर कोई लगाम लगा सकता है तो फिर ये उनकी नकारात्मक सोच का बचपना है। आज़ाद ख़्याल कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा! महाराष्ट्र के निलंबित सपा विधायक अबू आजमी ने कहा कि सदन चलता रहे, इसके लिए मैंने अपना बयान वापस लेने की बात कही। मैंने कुछ भी ग़लत नहीं कहा। फिर भी विवाद हो रहा है और सदन की कार्यवाही रोकी जा रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सदन चले और बजट सत्र के दौरान कुछ काम हो। मैंने वह बयान वापस ले लिया जो मैंने विधानसभा के बाहर दिया था, सदन में नहीं। फिर भी मुझे निलंबित कर दिया गया है।

 

समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आसिम आजमी को मुगल बादशाह औरंगजेब की प्रशंसा में टिप्पणी करने के कारण बुधवार को मौजूदा बजट सत्र के अंत तक महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। राज्य विधानमंडल का बजट सत्र 26 मार्च को समाप्त होगा। राज्य के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बुधवार को सदन में निलंबन का प्रस्ताव पेश किया। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि औरंगजेब की प्रशंसा में बयान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे छत्रपति संभाजी महाराज का अपमान है।

पाटिल ने कहा, ‘‘औरंगजेब की प्रशंसा और संभाजी महाराज की आलोचना करने वाली आजमी की टिप्पणियां एक विधानसभा के सदस्य को शोभा नहीं देती हैं और यह विधानसभा का अपमान है।’’ निलंबन का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। सपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष आजमी ने कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल के दौरान भारत की सीमा अफगानिस्तान और बर्मा (म्यांमा) तक पहुंच गई थी।