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नही रही पद्म श्री पुरस्कार विजेता तुलसी गौड़ा

वृक्ष माता तुलसी गौड़ा जो पद्म श्री पुरस्कार लेने ही नंगे पैर चली गई थी, उनका निधन हो गया है। पर्यावरणविद् और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित तुलसी गौड़ा का निधन 16 दिसंबर को हुआ है। उनके निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें याद किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पर्यावरणविद् और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित तुलसी गौड़ा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनका 16 दिसंबर को कर्नाटक में उनके पैतृक निवास पर 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। आदिम हलाक्की जनजाति से ताल्लुक रखने वाली तुलसी गौड़ा को उनके काम के लिए वर्ष 2021 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

 

बता दें कि उन्होंने 30,000 से अधिक पौधे लगाए है। इन पौधों में अधिकतर जड़ी-बूटियों की विविध प्रजातियां भी शामिल है। वहीं पौधों को लेकर तुलसी गौड़ा के पास विस्तृत जानकारी और ज्ञान भी था। इस ज्ञान की बदौलत ही तुलसी गौड़ा को वन का विश्वकोष’ यानी फॉरेस्ट एनलाइक्लोपीडिया कहा जाता है।

 

पीएम मोदी ने जताया शोक

श्रीमती तुलसी गौड़ा जी के निधन से बहुत दुखी हूँ, वे एक सम्मानित पर्यावरणविद् थीं। उन्होंने अपना जीवन प्रकृति के पोषण, हज़ारों पौधे लगाने और हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया। वे पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश बनी रहेंगी। उनका काम पीढ़ियों को हमारे ग्रह की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएँ,” पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा।

 

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। पर्यावरण के प्रति उनके प्रेम और देखभाल को याद करते हुए, मैं उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।” लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी तुलसी गौड़ा के निधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त की: “पद्मश्री श्रीमती तुलसी गौड़ा जी का निधन, जो एक महान पर्यावरणविद् थीं, एक अपूरणीय क्षति है। प्रकृति के पोषण के लिए उनके जीवन का कार्य पीढ़ियों को हमारे ग्रह की रक्षा करने के लिए प्रेरित करेगा।

 

जानें तुलसी गौड़ा के बारे में

तुलसी गौड़ा का जन्म कर्नाटक के अंकोला तालुक के होन्नाली गांव में हुआ था। वह स्वदेशी हलाक्की जनजाति की सदस्य थीं। बता दें कि 30 साल तक तुलसी गौड़ा वन विभाग में अस्थायी स्वयंसेवक रहीं। प्रकृति संरक्षण के प्रति उनके समर्पण के कारण उन्हें बाद में स्थायी नौकरी की पेशकश की गई और 70 साल की उम्र में वे विभाग से सेवानिवृत्त हो गईं।

 

तुलसी गौड़ा ने कभी कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की, फिर भी उनके ज्ञान ने उन्हें “वन के विश्वकोश” के रूप में प्रसिद्ध कर दिया। तुलसी गौड़ा ने पर्यावरण के लिए 60 वर्षों से अधिक समय तक काम किया और 30,000 से अधिक पौधे लगाए। 2021 में, भारत सरकार ने तुलसी गौड़ा को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया।