माओवादियों की शब्दावली में ‘‘नसबंदी’’ एक बहुत ही आम शब्द है। काडर के जो सदस्य शादी करना चाहते हैं, उसे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के वरिष्ठ आकाओं के निर्देश पर इस प्रक्रिया से गुजरने के लिए मजबूर किया जाता है। तेलंगाना के एक पूर्व माओवादी को शादी से पहले इस प्रक्रिया से गुजरने का निर्देश दिया गया था। सालों बाद, जब उसने हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया, तो उसने इस प्रक्रिया को उलटने के लिए दूसरी सर्जरी करवाई, और अंततः एक लड़के का पिता बना। वह अकेला नहीं था। बहुत से लोग जो हथियार डालकर मुख्यधारा में आ जाते हैं, वे भी इसी तरह परिवार शुरू करने के लिए प्रक्रिया को उलटने का विकल्प चुनते हैं। हम आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
तेलंगाना के पूर्व माओवादी ने अमित शाह से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘जब मैं भाकपा (माओवादी) का सदस्य था, तो मुझे ‘नसबंदी’ करानी पड़ी थी। लेकिन जब मैंने हथियार छोड़ दिए और मुख्यधारा में शामिल हो गया, तो मैंने एक और ऑपरेशन करवाया ताकि मैं पिता बन सकूं। दूसरे ऑपरेशन के बाद, मैं एक बच्चे का पिता बना।’’ उसने बताया कि प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों के बीच यह धारणा है कि बच्चों की देखभाल से उनका ध्यान भटकेगा और इससे उनके आंदोलन को नुकसान पहुंचेगा। यह भी आशंका है कि शादी करने वाले कार्यकर्ता आंदोलन से मुंह मोड़ सकते हैं। इसकी वजह से विवाह करने वाली किसी भी काडर के लिए नसबंदी अनिवार्य है।
इस बीच, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के समूह के साथ बातचीत के दौरान अमित शाह ने कहा कि उन्हें इस बात से बेहद संतोष है कि देश के युवाओं को हिंसा की निरर्थकता का एहसास हो गया है और उन्होंने हथियार डाल दिए हैं। उन्होंने शेष नक्सलियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि उनका पुनर्वास सरकार की जिम्मेदारी है। अमित शाह के साथ बातचीत में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने उन्हें बताया कि किस प्रकार वे पुलिस, निजी क्षेत्र में नौकरियों और अपना उद्यम शुरू करने के लिए बैंक ऋण सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं।