लोकसभा में अपने पहले भाषण में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा ने मौजूदा सरकार पर भारत के संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया। संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान बोलते हुए, प्रियंका ने जोर देकर कहा कि सरकार के कार्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि संविधान राष्ट्र की आवाज़ के रूप में कार्य करता है, इसके लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों का मार्गदर्शन करता है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में इन्हें (भाजपा) हारते-हारते जीतने से एहसास हुआ कि इस देश में संविधान बदलने की बात नहीं चलेगी।
प्रियंका गांधी ने कहा कि संभल के शोक संतप्त परिवारों के कुछ लोग हमसे मिलने आये थे। इनमें दो बच्चे भी थे- अदनान और उज़ैर। उनमें से एक मेरे बेटे की उम्र का था और दूसरा उससे छोटा, 17 साल का था। उनके पिता एक दर्जी थे। दर्जी का एक ही सपना था – वह अपने बच्चों को पढ़ाएगा, एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा। पुलिस ने उनके पिता को गोली मार दी। 17 वर्षीय अदनान ने मुझसे कहा कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा। यह सपना और आशा उनके दिल में भारत के संविधान ने पैदा की थी
कांग्रेस नेत्री ने कहा कि हमारा संविधान ‘सुरक्षा कवच’ है। ऐसा ‘सुरक्षा कवच’ जो नागरिकों को सुरक्षित रखता है- ये न्याय का, एकता का, अभिव्यक्ति के अधिकार का ‘कवच’ है। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि 10 साल में बड़े-बड़े दावे करने वाले सत्ता पक्ष के साथियों ने इस ‘कवच’ को तोड़ने की तमाम कोशिशें कीं। संविधान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा करता है। ये वादे एक सुरक्षा कवच हैं और इसे तोड़ने का काम शुरू हो गया है।’ लैटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए यह सरकार आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
प्रियंका गांधी ने अपने पहले भाषण में जाति जनगणना से भागने को लेकर केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “जाति जनगणना समय की मांग है और इससे हमें नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।” उन्होंने कहा, “यह सरकार संविधान को कमजोर कर रही है।” उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि मेरे विपक्ष ने उस संविधान को तोड़ने की पूरी कोशिश की है जो हमारी रक्षा करता है। उन्होंने एकता को तोड़ना शुरू कर दिया है। चुनाव के दौरान जब विपक्ष ने जाति जनगणना कराने के लिए आवाज़ उठाई, तो वे मुद्दे से भटक गए।