दीपावली का पर्व सदियों से मनाया जा रहा है। ये पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। हालांकि दीपोत्सव पांच दिवसीय पर्व है, जिसमें दिवाली से दो दिन पहले शुरू हो जाता है और दीपावली के दो दिन बाद तक मनाया जाता है। देश भर में दीपावली का पर्व मनाने के अलग अलग रीति रिवाज और तरीके हैं। कहीं दीपोत्सव पर लक्ष्मी गणेश का पूजन होता है तो कहीं श्रीराम और माता सीता के आगमन की खुशियां मनाई जाती हैं। उत्तर से दक्षिण भारत तक दीपोत्सव को मनाने के तरीके और इससे जुड़ी कहानियों के बारे में जानिए।
उत्तर भारत में दिवाली
उत्तर भारत में दीपावली का पर्व मुख्य रूप से भगवान राम से संबंधित है। दिवाली भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार श्री राम 14 वर्षों का वनवास और रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे, तो नगरवासियों ने उनके स्वागत के लिए दीप जलाए थे। इस कारण उत्तर भारत में दीपावली के मौके पर दीये जलाने और प्रकाश पर्व मनाने का महत्व है। यूपी-उत्तराखंड समेत उत्तर भारत में दीपावली के मौके पर घरों की सफाई, रंगोली बनाना, और लक्ष्मी-गणेश पूजा प्रमुख होता है।यहां पटाखों का चलन भी खूब देखा जाता है।
दक्षिण भारत में दिवाली
उत्तर भारत से अलग दक्षिण भारत में दीपावली मनाने का कारण और मान्यताएं अलग हैं। यहां दीपावली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से दीपावली उत्सव आरंभ हो जाता है। उस दिन लोग सूर्योदय के पहले सुबह-सुबह तेल और उबटन लगाकर स्नान कर लेते हैं, क्योंकि अगले दिन अमावस्या होती है और उस दिन सिर में तेल लगाकर स्नान नहीं किया जा सकता है। इस तरह तमिल लोगों के लिए दीपावली का जश्न सुबह-सुबह तेल लगाकर स्नान करने से शुरू होता है।