कभी-कभी जब आप मुसीबत में फंसे हों और कोई ऐसा व्यक्ति आपकी मदद कर दे जिसे आप जानते भी न हों तो वो भगवान से कम नहीं होता। ऐसा ही कुछ अमेरिका की एक छात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुआ। यहां 20 साल की छात्रा जूलिया जारोस्लावस्की बैंकॉक से यूएस लौटते समय मुसीबतों में फंस गई। दरअसल, जूलिया को भरोसा था कि बैंकॉक से शिकागो लौटते समय आसानी से उसे फ्लाइट मिल जाएगी। लेकिन कतर से दोहा की उड़ान को लेकर बोर्डिंग के आखिर में उसे पता चला कि उड़ान में सीटें नहीं है। जिसके बाद वह परेशानी में पड़ गई। आखिर में वहां उसकी मदद कतर एयरवेज के एक सीईओ ने की।
लगा था आराम से शिकागो पहुंच जाऊंगी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिकागो की 20 वर्षीय छात्रा जूलिया जारोस्लावस्की ने ईमेल के जरिए बताया कि थाईलैंड से अमेरिका लौटने के दौरान दोहा, कतर के लिए उड़ान भरने के बाद, उसे उसी दिन शिकागो के लिए स्टैंडबाय उड़ान भरने की उम्मीद थी। शुरू में जब उन्होंने एयरलाइन कर्मचारियों के साथ बात की तो उन्होंने कहा कि उसे घर जाने के लिए उड़ान भरने में कोई समस्या नहीं आएगी। क्योंकि उस वक्त तक दोहा से शिकागो की उड़ान में बहुत सारी सीटें उपलब्ध थीं। लेकिन आखिर में बोर्डिंग के आखिर में एयरलाइन कर्मियों ने उसे बताया कि उड़ान की सारी सीटें भर चुकी हैं। इसके अलावा, बाकी किसी भी उड़ान में सीटें खाली नहीं हैं।
कॉफी शॉप में मिले कतर एयरवेज के सीईओ
जूलिया ने बताया कि वह बुरी तरह से थक चुकी थी, ये सुनते ही उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। इतना ही नहीं उसकी आंखों से आंसू निकल आए। जिसके बाद उसने बेहतर कनेक्शन वाली वैकल्पिक उड़ानों की खोज शुरू की लेकिन पाया कि आने वाले दिनों में दोहा से शिकागो की उड़ानें पूरी तरह से बुक थीं। ऐसे में बुरी तरह से परेशान जूलिया को एक रात एयरपोर्ट पर ही बितानी पड़ी। इसी दौरान भूख लगने पर वह एयरपोर्ट पर एक कॉफी की दुकान में गई। वहां उसने खाने के लिए ऑर्डर दिया। इस दौरान उसके चेहरे को देखने से पता लग रहा था कि वह परेशान है, उसकी आंखे डबडबाई हुईं थी। खाने के दौरान वह एक ऐसे व्यक्ति से एक सीट दूर बैठी जो उसकी ओर मुंह करके ही बैठा था। जूलिया को परेशान देख उसने जूलिया से परेशानी का कारण पूछा।