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अखाड़ा परिषद की बैठक में अफसरों पर भड़के संत, बोले- अधिकारी बेलगाम, सीएम की भी नहीं सुन रहे

प्रयागराज:  दारागंज स्थित पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए। प्रमुख रूप से लव जिहाद, संतों की सुरक्षा, गो हत्या का प्रतिबंध, कुंभ मेला क्षेत्र को हरा भरा और स्वच्छ बनाने सहित कुंभ मेले के दौरान सभी की सुरक्षा पर सरकार की ओर से विशेष ध्यान दिया जाए। अखाड़े की बैठक में निर्णय लिया गया कि अबकी बार के कुंभ में शाही और पेशवाई जैसे नाम नहीं होंगे।

आपसी सहमति से नया नाम जल्द ही सरकार को दिया जाएगा। मांगे नहीं माने जाने पर मेले का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया। संतों ने अधिकारियों के खिलाफ सीएम से शिकायत करने का फैसला किया। कहा कि अफसर बेलगाम हो गए हैं वह सीएम की भी नहीं सुन रहे हैं। अखाड़े की बैठक में बड़े संतों को भारत रत्न देने का प्रस्ताव पास किया गया।

बैठक में फर्जी संतों की कुंभ मेला क्षेत्र में प्रतिबंध के साथ पूर्ण बहिष्कार की भी घोषणा की गई। सभी तेरह अखाड़े की संतों को सरकार की ओर से विशेष सुरक्षा की मांग की गई। अखाड़ा परिषद की ओर से सभी अखाड़ों से अनुरोध किया गया कि अपने संतों को आई कार्ड भी उपलब्ध कराएं जिससे सभी संतों की पहचान हो सके।

अधिकारियों की कार्यशैली पर भड़के संत

अखाड़ा परिषद की बैठक में संतों की समस्याओं पर चर्चा की गई। साधु-संतों ने कहा कि सभी अखाड़ों को बराबर बजट आवंटित हो। बड़ा उदासीन,निर्मल अखाड़े के सामने सड़क खराब होने से छावनी में आने जाने वालों को परेशानी हो रही है। मेला क्षेत्र में पानी होने के कारण कामकाज प्रभावित हो रहा है। प्रदेश में संत के सीएम होने के बावजूद अखाड़े की मांग अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। संतों ने सभी अखाड़ों को पांच-पांच करोड़ रुपये देने की मांग की। संतों ने कहा कि कुंभ मेले में पूरी छावनी सरकारी होनी चाहिए। संतों ने अधिकारियों की कार्यशैली पर असंतोष जताया। कहा कि अधिकारी सीएम योगी के भी नियंत्रण में नहीं है। अधिकारी अखाड़े के संतों से मुलाकात तक नहीं कर रहे हैं। यह घोर चिंता का विषय है।