गुजरात सिर्फ व्यवसाय या पर्यटन स्थलों के लिए ही नहीं, तीर्थ स्थानों के लिए भी काफी मशहूर है। यहां द्वारकाधीश मंदिर से लेकर कालिका माता मंदिर जैसे शक्तिपीठ स्थित हैं, जहां हर साल हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सिर्फ देश ही नहीं विदेशों से भी हर साल हजारों सैलानी गुजरात पहुंचते हैं। गुजरात अपनी संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। खासतौर पर यहां नवरात्रि बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार 3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रही है। इस दौरान पूरा देश ही रंग-बिरंगी सजावट में सराबोर और भक्ति के रंग में नजर आता है, लेकिन गुजरात की बात ही और है। अगर आप भी नवरात्रि में गुजरात जा रहे हैं तो हम आपको यहां स्थित कुछ ऐसे देवी मंदिरों के बारे में बताते हैं, जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।
उनाई माता मंदिर
गुजरात के नवसारी जिले में स्थित उनाई माता मंदिर गुजरात के प्राचीन और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। उनाई माता मंदिर के महत्व के बारे में बात करें तो यहां गर्म जल कुंड हैं, जिनका धार्मिक और औषधीय महत्व है। हर साल यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। खासतौर पर नवरात्रि के दौरान यहां की रौनक देखते ही बनती है।
खोडियार माता मंदिर
खोडियार माता मंदिर गुजरात के भावनगर के पास स्थित है, जो काफी चर्चित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जाने से हर मनोकामना पूरी होती है। ये मंदिर 200 साल पुराना है और इसे पूरे गुजरात में शक्ति का केंद्र माना गया है। यहां का वातावरण बिलकुल अलग होता है और नवरात्रि के दौरान यहां कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह गुजरात के प्रमुख मंदिरों में से एक है।
आशापुरा माता मंदिर
यह मंदिर गुजरात के कच्छ में स्थित है और इस राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर में स्थित देवी मां को ‘आशा पूरी करने वाली’ माना गया है, इसलिए इसका नाम आशापुरा माता मंदिर है। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला के लिए भी प्रख्यात है। अगर आप नवरात्रि के दौरान गुजरात जा रहे हैं तो इस मंदिर में जाना ना भूलें।
गुजरात में तीन शक्तिपीठ हैं
गुजरात में 1-2 नहीं बल्कि तीन शक्तिपीठ स्थित हैं। इनमें बहुचरा जी, आबू पर्वत के निकट स्तित अम्बा जी और पावागढ़ पर्वत के ऊपर विराजमान कालिका देवी हैं।
बहुचरा माता मंदिर
बहुचरा मां शक्तिपीठ गुजरात के मेहसाणा क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं। हर साल अनेक भक्तगण अपनी मनोकामना लेकर बहुचरा माता मंदिर पहुंचते हैं। बहुचरा मां सिंध के हिंगलाज माता का स्वरूप भी मानी जाती हैं। मान्यता है कि बहुचरा देवी को धातु का चकोर पत्र चढ़ाया जाए, जिस पर शरीर का कोई अंग उत्क्रीर्णित हो तो शरीर के जिस अंग में कष्ट है या रोग है तो उससे मुक्ति मिलती है।