न्यूयॉर्क: तुर्किये भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने में जुटा हुआ है। ऐसा इसलिए कि तुर्किये के राष्ट्रपति रैकप तैयप एर्दोगन ने इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया। संयुक्त राष्ट्र में उनका भाषण गाजा की स्थिति पर फोकस रहा। जहां हमास के खिलाफ इस्राइली हमले में अब तक 40 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
दरअसल, 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद एर्दोगन ने भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की वकालत की थी। इसके साथ ही उन्होंने हर साल संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद़्दे का जिक्र जरूर किया। मगर इस बार एर्दोगन ने गाजा में फलीस्तिनियों की स्थिति पर चिंता जाहिर की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र पर लोगों की मौत को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।
एर्दोगन ने एक बार फिर कहा कि दुनिया पांच से बड़ी है। गाजा दुनिया में बच्चों और महिलाओं के लिए सबसे बड़ा कब्रिस्तान बन गया है। उन्होंने अमेरिका और प्रमुख यूरोपीय संघ के देशों सहित पश्चिमी देशों से इन मौतों को रोकने के लिए कार्रवाई करने का आह्वान किया।
एर्दोगन का कश्मीर मुद्दे को छोड़ने का रुख तब सामने आया है कि तुर्किये ब्रिक्स देशों के समूह का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है। इसे लेकर पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि एर्दोगन ने पांच साल में पहली बार संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया। जबकि 2019 से 2023 तक लगातार उनके भाषण में कश्मीर शामिल रहा। इससे भारत और तुर्किये के संबंधों में तनाव पैदा हो गया है।