जस्टिस अभय एस. ओका और अगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने जमानत याचिका मंजूर करते हुए उनके सामने कठिन शर्तें रखीं। शीर्ष अदालत ने ईडी का प्रतनिधित्व करने वाले वकील तुषार मेहता और सेंथिल बालाजी ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लुथरा की दलीलें सुनने के बाद 12 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हाई कोर्ट ने द्रमुक (डीएमके) नेता सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर उन्हें इस मामले में जमानत दी गई तो यह एक गलत संकेत पेश होगा और जनहित के विरुद्ध होगा। उन्होंने आगे कहा, याचिकाकर्ता आठ महीने से जेल में बंद था, ऐसे में विशेष अदालत को निर्धारित समयसीमा के भीतर केस का निपटारा करने का निर्देश देना उचित होगा। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि शीर्ष अदालत द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार मुकदमे की सुनवाई रोजाना आधार पर की जाएगी।
बालाजी की जमानत पर प्रतिक्रिया देते हुए द्रमुक सांसद और वकील एनआर एलंगो ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने वी सेंथिल बालाजी को जमानत दे दी है। उन्हें ईडी के एक मामले में 15 महीने से अधिक समय तक एक कैदी के रूप में रखा गया। इसमें काफी देरी हुई है। कुछ शर्तों के साथ जमानत दी गई। इन शर्तों के अनुसार, उन्हें सप्ताह में दो बार ईडी के सामने पेश होना होगा। गवाहों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी है और अपना पासपोर्ट जमा करना होगा।”