आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में गरीबों के हक पर डाका डल रहा है। जिस राशन को सरकार मुफ्त बांट रही है, उसे बेचकर मुनाफाखोरी चांदी काट रहे हैं। चावल की कालाबाजारी का नेटवर्क आगरा से कई राज्यों तक फैला है। इसकी रोकथाम में पुलिस और प्रशासन फेल है।
जिले में 30 लाख कार्ड धारक हैं। प्रत्येक यूनिट पर तीन किलो चावल मिलता है। जिले में हर माह करीब 90 हजार क्विंटल चावल बंटता है। जिसे राशन माफिया गरीबों से 10 से 15 रुपये किलो में खरीद रहे हैं। इसके लिए उन्होंने 100 से अधिक हॉकर तैनात हैं। जो घर-घर जाकर सस्ते दाम पर चावल इकठ्ठा करते हैं।
फिर इसे 25 से 30 रुपये किलो में आगरा से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व अन्य राज्यों में बेचा जा रहा है। हर माह करीब 40 से 50 हजार क्विंटल चावल का काला कारोबार हो रहा है। इस खेल में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप हैं। इसके कारण राशन माफिया को नेटवर्क नहीं टूट पा रहा है।
माफिया ने क्षेत्रवार फैला रखा है नेटवर्क
बाह, फतेहाबाद, खेरागढ़, किरावली, एत्मादपुर और शहर में राशन माफिया ने क्षेत्रवार नेटवर्क फैला रखा है। 10 से 12 सरगना हैं। अवैध भंडारण के लिए गोदाम बना रखे हैं। इस गिरोह में सुमित अग्रवाल, अमित अग्रवाल, हेमेंद्र उर्फ गोपाल, ओम प्रकाश गुप्ता, हर्रो, भूरा सहित 100 से अधिक लोग शामिल हैं। जिनके विरुद्ध मुकदमे दर्ज हैं। फिर भी कॉकस नहीं टूट पा रहा।