नई दिल्ली: देश के कृषि क्षेत्र में भले ही महिलाओं की हिस्सेदारी साठ फीसदी से अधिक है, मगर अभी तक भारत की ‘एग्री-वैल्यू’ चेन में मातृशक्ति, अहम भूमिका से कोसों दूर है। अब कॉर्टेवा एग्रीसाइंस ने एक नया साहसिक कार्यक्रम प्रारंभ किया है। इसके जरिए 2030 तक 20 लाख महिलाओं को भारत की एग्री-वैल्यू चेन में एक अहम भूमिका में शामिल करने का लक्ष्य रखा है। इस कार्यक्रम के तहत कॉर्टेवा का लक्ष्य महिलाओं की सहायता करना और उन्हें पर्याप्त उपकरण एवं संसाधन प्रदान करते हुए एक किसान, शोधकर्ता तथा उद्यमी बनने में मदद करना है। यह कार्यक्रम पारंपरिक कॉर्पोरेट जिम्मेदारी से परे है। इसके माध्यम से स्त्री पुरुष के बीच समानता विकसित करने पर जोर रहेगा। राष्ट्र के सतत विकास में महिलाओं का योगदान बढ़ेगा। वे देश के विकास में आर्थिक मजबूती के साथ अपनी भूमिका निभा सकेंगी।
मंगलवार को कॉन्स्टीट्यूशन कलब में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘एग्री-वैल्यू’ चेन में मातृशक्ति की प्रभावी भूमिका को बढ़ाने की मुहिम की शुरुआत की गई। यह पहल संसाधनों और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में महिलाओं को पुरुषों से बराबरी करने में मदद करती है, इसके साथ ही यह खासतौर से कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने वाली तकनीकों को विकसित करती है। खाद्य सुरक्षा की स्थिति को बेहतर बनाती है। इस पहल की शुरुआत के अवसर पर, कॉर्टेवा एग्रीसाइंस के साउथ एशिया प्रेसिडेंट सुब्रतो गीड ने कहा, ‘महिलाएं ग्रामीण जीवन और कृषि क्षेत्र की रीढ़’ हैं। अब 20 लाख से अधिक महिलाओं को खेती के बेहतर तरीकों की जानकारी दी जाएगी। उनकी शिक्षा का स्तर बढ़ेगा। उन्हें टिकाऊ खेती के तरीके उपलब्ध कराए जाएंगे।
इससे महिलाओं की आय बढ़ेगी और समाज में उनकी जिंदगी को बेहतर एवं खुशहाल बनाया जा सकेगा। महिलाओं की स्थिति को सुधारने का यह प्रयास भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने में मदद करेगा। गवर्नमेंट एंड इंडस्ट्री अफेयर्स डायरेक्टर (एशिया पैसिफिक), अनुजा कादियान ने कहा, इस सामाजिक जिम्मेदारी को अपनाते हुए हम बेहद गर्व के साथ विकसित भारत की ओर एक कदम बढ़ा रहे हैं। 20 लाख महिलाओं की सहायता करने की हमारी पहल में स्त्री पुरुष के बीच समानता, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय की सुरक्षा को शामिल किया गया है।