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तिरुपति बालाजी के प्रसाद में चर्बी वाले विवाद पर काशी में नाराजगी, संत बोले- ये धार्मिक अपराध

वाराणसी:  आंध्र प्रदेश में भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलने के मामले में वाराणसी के संत व जानकारों की प्रतिक्रिया सामने आई है। उनका कहना है कि यह धार्मिक अपराध है। इस मामले में निष्पक्ष रूप से जांच के बाद कार्रवाई होनी चाहिए।

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने इस मामले पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि तिरुपति मंदिर में लड्डुओं का प्रसाद बनाने की सामग्री में गो-वंश की चर्बी और मांस मिलाने की सूचना आधिकारिक रूप से आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू द्वारा दिए जाने पर हिंदू समाज के श्रद्धालुओं को ठेस पहुंची है।

30 करोड़ भक्तों की आस्था से जुड़ा है मामला
प्रोफेसर राम नारायण ने कहा कि नायडू ने बताया था कि यह तथ्य पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुआ था, जिसका खुलासा सरकार की प्रयोगशाला रिपोर्ट में हुआ। प्रोफेसर ने कहा कि हम इसकी कटु निंदा करते हैं। हमारी केंद्र सरकार व आंध्र प्रदेश सरकार से मांग है कि इस तथ्य की गंभीरता से और जांच होनी चाहिए। विद्वत परिषद शीघ्र ही बैठक कर इस बारे में उचित निर्णय लेगी। क्योंकि इस तथ्य से तिरुपति जाने वाले लगभग 30 करोड़ हिंदू भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है।

वहीं प्रसाद में चर्बी मिलने के मामले में वाराणसी अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ये धार्मिक अपराध है। कहा कि आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने प्रसाद में चर्बी मिलाए जाने का जो मुद्दा उठाया है यह बहुत ही गंभीर है। धार्मिक दृष्टि से यह अक्षम्य अपराध है।