संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीनी प्राधिकरण के दूत रियाद मंसूर ने मंगलवार की दोपहर में श्रीलंका और सूडान के बीच फलस्तीन राज्य के रूप में अपना स्थान ग्रहण किया। संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन के स्थायी मिशन ने मिस्र के राजदूत और महासभा के अध्यक्ष की तरफ से फलस्तीन राज्य की नई सीटिंग की पुष्टि की है। मिस्र के प्रतिनिधि ने राष्ट्रपति से यह पुष्टि करने के लिए एक मुद्दा उठाया कि आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली गई हैं। मिस्र के राजदूत ओसामा महमूद अब्देलखलेक महमूद ने कहा, यह महज एक प्रक्रियागत मामला नहीं है। यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। इस पर यूएनजीए अध्यक्ष ने उत्तर दिया कि मुझे सूचित किया गया है कि फलस्तीन को जहां बैठना चाहिए, वहां बैठाने के लिए सभी व्यवस्थाएं कर दी गई हैं।
इस्राइल ने किया विरोध, बताया राजनीतिक पक्षपात
हालांकि इस्राइल ने इस कदम की निंदा की है। इजरायल के प्रतिनिधि ने कहा कि इस मामले में विधानसभा का निर्णय राजनीतिक पक्षपात से प्रेरित है, उन्होंने रेखांकित किया कि संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता और संबंधित विशेषाधिकार विशेष रूप से संप्रभु राज्यों के लिए आरक्षित हैं।
फलस्तीन को अतिरिक्त अधिकार देने के लिए पेश हुआ था प्रस्ताव
बता दें कि इस साल 10 मई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फलस्तीन की संयुक्त राष्ट्र सदस्यता पर पुनर्विचार और पर्यवेक्षक का दर्जा रखने वाले फलस्तीन को अतिरिक्त अधिकार प्रदान करने के लिए एक प्रस्ताव अपनाया गया था। इस प्रस्ताव में फलस्तीन को महासभा के सत्रों, संयुक्त राष्ट्र की बैठकों और सम्मेलनों में भाग लेने की अनुमति देने की व्यवस्था करने का आह्वान किया गया था, जिसमें कहा किया गया था कि यह असाधारण आधार पर और बिना किसी मिसाल कायम किए किया जाएगा। इस प्रस्ताव को भारत समेत 143 मतों के साथ भारी बहुमत मिला था।
इस बीच, कैमरून के पूर्व प्रधान मंत्री फिलेमोन यांग ने अपने पूर्ववर्ती डेनिस फ्रांसिस से पदभार ग्रहण किया। यांग ने कहा, मैं सभा से अपने दृढ़ संकल्प को तेज करने, गाजा पट्टी, हैती और यूक्रेन में कठिन संघर्षों समेत संघर्षों के समाधान को प्राथमिकता देने का आग्रह करूंगा। नए यूएनजीए अध्यक्ष ने कहा, मानवाधिकार हमारी महासभा के मूल में बने रहेंगे। वहीं महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने यांग को बधाई दी।