वाराणसी: देवान्भावयतानेन ते देवाभावयन्तु वः, परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ।। यानी यज्ञ के द्वारा देवताओं को उन्नत करो और वे देवता तुम लोगों को उन्नत करें।इस प्रकार तुम लोग परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे। इसी कामना के साथ काशी विश्वनाथ धाम के सभी विग्रहों का एक साथ पूजन हुआ। काशी के इतिहास में मंदिर क्षेत्र के 52 स्थानों पर रविवार की भोर में एक साथ एक समय अर्चकों ने पूजन आरंभ किया।
श्री काशी विश्वनाथ का धाम पहली बार शैव, वैष्णव और शाक्त परंपरा के एक साथ पूजन का साक्षी बना। रुद्राभिषेक के साथ मां भगवती और भगवान विष्णु के मंत्र एक साथ धाम के मंदिरों में गुंजायमान हो उठे। दो घंटे से अधिक समय तक विश्व कल्याण की कामना से चले अनुष्ठान के दौरान 29 शैव, आठ गणपति, पांच शाक्त, चार वैष्णव और तीन हनुमानजी के मंदिरों में पूजन हुआ।
सुबह चार बजे से प्रारंभ हुआ देवताओं की आराधना का महायज्ञ लगभग दो घंटे में संपन्न हुआ। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और श्री ठाणे महेश्वर मंडल के संयोजन में देश भर से पधारे माहेश्वरी समाज के लोगों ने धाम में रुद्राभिषेक और पूजन किया।
न्यास की कार्यपालक समिति के सभापति व मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के निर्देश पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने सभी देव विग्रह की विशिष्ट आराधना का संकल्प लिया था। रुद्राभिषेक के अतिरिक्त अन्य आराधना में न्यास के अधिकारी, प्रयागराज के मंडलायुक्त, काशी के स्थानीय यजमान की भूमिका में रहे। माहेश्वरी समाज ने सीईओ विश्वभूषण मिश्र को सम्मानित भी किया।