मुंबई: इंटरनेट जगत या सोशल मीडिया की दुनिया में अंकुर वारिकू किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। निवेश से लेकर स्टार्टअप पर सलाह-सुझाव और फंडिंग देने वाले अंकुर आज एक उद्यमी, कंटेंट क्रिएटर और मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर जाने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने अपने बचपन से जुड़ी एक याद साझा की। उन्होंने बताया कैसे बचपन में हुईं घटनाओं ने उन्हें उथल-पुथल और स्थिरता के बीच का अंतर सिखाया।
एक अनदेखी तस्वीर साझा की
अंकुर वारिकू ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपने पिता के साथ की एक अनदेखी तस्वीर साझा की और साथ ही बताया कि कैसे उस समय उनका परिवार वित्तीय परेशानियों से जूझ रहा था। उन्होंने कहा, ‘सन् 1995 में, मैं 15 साल का था। तब पापा की नौकरी चली गई थी। उस समय बैंक में कुछ हजार रुपये ही रह गए थे। पापा 10 हजार रुपये लेकर बैंक से निकालकर ला रहे थे, तभी किसी ने उन्हें लूट लिया।’
कर्जे में डूब गए…
उन्होंने आगे कहा, ‘हम परेशानियों से घिर गए। कर्जे में डूब गए। लोगों के हमारे ऊपर अहसान हो गए। हमारे दरवाजे पर कलेक्टर तक आ गए थे। मुझे याद है कभी- कभी मम्मी और पापा खाना भी नहीं खाते थे क्योंकि हमारे पास पैसे नहीं होते थे। मम्मी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाती थीं। उनका वेतन मात्र एक हजार रुपये होता था। उस समय उन्हीं एक हजार रुपयों से हमारा घर चल रहा था।’
कश्मीर के घर को भी किया याद
उद्यमी ने उस पल को याद किया जब सरकार ने कश्मीर में उनके पिता के घर के लिए मुआवजे का एलान किया, जो टूट चुका था। उन्होंने कहा कि मुआवजे को स्वीकार करने का मतलब साफ था कि जिस घर में मैं बड़ा हुआ था उस पर हमारा हक नहीं रहेगा। मगर वह पैसा हमें परेशानियों से निकाल सकता था। इसलिए हमने मुआवजा स्वीकार कर लिया।’