नई दिल्ली: कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है। इस बीच, मामले पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने वकील से कहा कि वह अदालत में कानूनी बहस में सोशल मीडिया का उपयोग न करें।
दरअसल, मामले पर बहस के दौरान वकील ने कहा, “मीलॉर्ड..बताया जा रहा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (पीएमआर) में 151 (मिलीग्राम वीर्य) का जिक्र है।” इस पर सीजेआई ने कहा, “इसे (कोर्ट को) भ्रमित मत करिए। अदालत में बहस करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग न करें। अब हमारे सामने खासतौर पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। हमें पता है कि 151 का क्या मतलब है। जो हम मीडिया में पढ़ते हैं, उसका उपयोग न करें, उसे आधार बनाकर कानूनी दलील न दें।”
इससे पहले शीर्ष अदालत ने दुष्कर्म और हत्याकांड में पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी की जाहिर की। अदालत ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बेहद हैरानी भरा है कि मृतका का पोस्टमार्टम नौ अगस्त को शाम 6:10 बजे से 7:10 बजे के बीच हुआ। इसके बाद रात 11:30 बजे अप्राकृतिक मौत का पंजीकरण किया गया। जबकि नियम के मुताबिक पोस्टमार्टम अप्राकृतिक मौत के पंजीकरण से पहले होता है।
उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है? यह बेहद परेशान करने वाला तथ्य है। अदालत ने दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज करने वाले कोलकाता पुलिस अधिकारी को अगली सुनवाई में हाजिर होने का निर्देश देते हुए मामला दर्ज करने के समय की जानकारी देने को कहा।