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कभी खलनायक बन डराया तो कभी हंसाया, 74 साल की उम्र में भी शरत सक्सेना की है कमाल की फिटनेस

किसी भी फिल्म के दो मुख्य किरदार होते हैं, जिनके चारों ओर कहानी घूमती है। ये होते हैं फिल्म के नायक और खलनायक। फिल्म में नायक के प्रति जितना हम सहानुभूति रखते हैं, उतना ही खलनायक के लिए नफरत, लेकिन हम भूल जाते हैं कि दोनों ही एक मुकम्मल कहानी के लिए बेहद जरूरी होते हैं। किसी भी कहानी को पूरा करने के लिए जितना महत्वपूर्ण नायक होता है, उतना ही जरूरी खलनायक भी होता है। आज हिंदी सिनेमा में खलनायक की भूमिका से दमदार छवि बनाने वाले अभिनेता शरत सक्सेना का जन्मदिन है। इस खास मौके पर अभिनेता के जीवन के कुछ पहलुओं को जानते हैं।

शरत सक्सेना का जन्म 17 अगस्त 1950 को मध्य प्रदेश के सतना में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सेंट जोसफ कान्वेंट हाईस्कूल, भोपाल से की है। इसके बाद अभिनेता ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई जबलपुर से पूरी की, फिर अपने बचपन के अभिनेता बनने के सपने को पूरा करने के लिए मुंबई पहुंच गए।

शरत जब मुंबई पहुंचे तो उन्हें पता चला कि अभिनय करना और काम मिलना इतना आसान नहीं। इंडस्ट्री से बाहर के होने के कारण उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि, अपनी मेहनत के दम पर वह एक सपोर्टिंग आर्टिस्ट के तौर पर पहचाने जाने लगे।अभिनेता शरत सक्सेना ने अपने 50 साल लंबे करियर में लगभग 250 फिल्मों में काम किया है। अभिनेता ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत निर्देशक नरेंद्र बेदी की अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म ‘बेनाम’ से साल 1974 में की थी। उन्हें असली पहचान मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म ‘बॉक्सर’ से मिली थी। इस फिल्म में उनके अभिनय को खूब प्रशंसा मिली थी। उन्होंने अपने करियर में कई तरह के रोल किए। कभी लोगों को विलन बनकर डराया तो कभी कॉमेडी करते हुए खूब हंसाया। उन्हें फिल्म ‘गुलाम’ के लिए फिल्मफेयर का बेस्ट विलेन अवार्ड के लिए नामांकन मिला था।