प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर गैर-राजनीतिक परिवार के युवाओं को सियासत में लाने की मंशा जताई। शुरुआती दौर में एक लाख युवाओं को आगे लाने की बात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियासी तौर पर उस मुद्दे को आगे बढ़ाया, जो अभी तक ‘मिशन मोड’ में नहीं था। हालांकि अभी भी देश की कई राजनीतिक पार्टियों और सियासी दलों ने ऐसे युवाओं को मौका दिया है, जिनके परिवार में पहले कभी कोई सियासत में नहीं था।
लेकिन जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से लाल किला से ऐसे युवाओं को सियासत में लाने यह मंशा जताई है, वह सियासी नजरिए से एक बड़े प्रयोग के तौर पर देखी जा रही है। वहीं उत्तर प्रदेश समेत उन राज्यों के युवाओं ने छात्र संघ चुनाव की मांग भी कर डाली है, जहां चुनाव नहीं हो रहे हैं। छात्र राजनीति से जुड़े रहे नेताओं का मानना है कि सियासत की नर्सरी में गैर-राजनीतिक परिवार के युवा यहां से आगे बढ़ते हैं। इसलिए जिन राज्यों में चुनाव नहीं होता है, वहां पर इसको शुरू कराया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर आने वाले दिनों में गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले युवाओं को सियासत में आगे आने की अपील भी की और अपनी मंशा भी जताई। प्रधानमंत्री की समस्या का सबसे ज्यादा असर उन राज्यों पर पड़ रक्षा है, जहां पर सियासी रूप से छात्र संघ के चुनाव नहीं हो रहे हैं। दरअसल सियासत की नर्सरी के तौर पर छात्र संघ के चुनावों को देखा जाता रहा है।
कानपुर विश्वविद्यालय के युवराज दत्त महाविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष हिमांशु तिवारी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गैर राजनीतिक परिवार के युवाओं को आगे लाने की बात कहकर सियासत में एक मिशन मोड की राजनीति की बात की है। हिमांशु कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब एक लाख युवाओं को सियासत में लाने की मंशा जाहिर की है, तो अब उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में छात्र संघ चुनाव को भी शुरू कराए जाने की प्रक्रिया होनी चाहिए। उनका कहना है कि सियासत की पहली पाठशाला ही छात्र संघ चुनाव होते हैं, जो अब यहां नहीं हो रहे हैं।
हिमांशु कहते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसकी पहल की है, तो उम्मीद की जा रही है कि सियासत में आने के बाद सभी रास्ते युवाओं के लिए खोले जाएंगे, जिससे उनको आगे बड़ा मौका मिल सके। हिमांशु ने बताया कि जल्द ही उत्तर प्रदेश समेत देश के उन राज्यों के छात्र नेताओं से मिलकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाएगा, जहां पर छात्र संघ के चुनाव नहीं होते हैं। ताकि गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले युवाओं को सियासत की नर्सरी में आगे बढ़ने का बेहतर मौका मिल सके।