कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में डॉक्टर्स ने काम बंद रखने का एलान किया है। इसके चलते बुधवार को पश्चिम बंगाल में लगभग सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं और इससे आम जनता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जांच के दौरान पकड़े गए आरोपी संजय रॉय को बृहस्पतिवार को सीबीआई अधिकारी मेडिकल जांच के लिए कोलकाता के कमांड अस्पताल लाए। बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, सीबीआई पूरे मामले की जांच कर रही है। दिल्ली से एक विशेष मेडिकल और फोरेंसिक टीम भी कोलकाता भेजी गई है।
पीड़िच परिवार से मिलने पहुंचा IMA का दल
आरोपी को अस्पताल लाए जाने के अलावा गुरुवार को ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का एक प्रतिनिधिमंडल भी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल पहुंचा। IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने कहा, “एक टीम के रूप में आईएमए ने पीड़िता के माता-पिता से मुलाकात की। पीड़ित परिवार पूरी तरह से असहाय हैं, उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है। उन्हें कई घंटों तक घटना की जानकारी नहीं दी गई। उन्हें प्रिंसिपल से मिलने नहीं दिया गया। पश्चिम बंगाल सरकार से हमारी मांग है कि परिवार की मदद के लिए हरसंभव उपाय किए जाएं। अब जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। उन्हें निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए। संजय के अलावा अन्य दोषियों को भी ढूंढा जाना चाहिए।
‘लोगों को बचाने की हो रही कोशिश’
सभी सरकारी अस्पतालों के बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) के टिकट काउंटरों पर लंबी कतारें देखी जा रही हैं। जूनियर डॉक्टर्स के साथ ही वरिष्ठ डॉक्टर्स भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक डॉक्टर ने बताया कि ‘हमारी कोई नई मांग नहीं है। हमने देखा है कि लोगों को बचाने का प्रयास किया गया है। कुछ लोगों ने आरजी कर अस्पताल की उसी मंजिल पर निर्माण कार्य शुरू करके सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की है, जहां हमारी बहन से दुष्कर्म और उसकी हत्या की गई थी। हमें अपना विरोध बंद करने का कोई कारण नहीं दिखता।’
ओपीडी सेवाएं बंद
पश्चिम बंगाल डॉक्टरों के संयुक्त मंच ने राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) में काम बंद करने का आह्वान किया था। प्रदर्शन के दौरान जूनियर और सीनियर डॉक्टर, इंटर्न और हाउस स्टाफ अपनी बांहों पर काली पट्टी बांधे और महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाते देखे गए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि, ‘आपातकालीन सेवाएं चालू हैं। लेकिन जब तक हम विरोध नहीं करेंगे, पीड़िता को न्याय नहीं मिलेगा। कुछ मरीजों को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।’