लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उपचुनाव बसपा पूरी दमदारी से लड़ेगी। रविवार को पार्टी प्रदेश कार्यालय में वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं जिलाध्यक्षों की बैठक में उन्होंने कहा कि उपचुनाव की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इसको लेकर सरगर्मी बढ़ रही है। खासकर भाजपा व इनकी सरकार द्वारा इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लेने से भी उपचुनाव में लोगों की रूचि बढ़ी है। बसपा उपचुनाव में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार कर दमदारी से लड़ेगी।
बसपा सुप्रीमो ने बैठक में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए पिछली बैठक में दिए गए दिशा-निर्देशों की प्रगति रिपोर्ट भी ली। साथ ही आगामी उपचुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए जमीनी तैयारियों को परखा। तत्पश्चात अपने संबोधन में कहा कि यूपी समेत पूरे देश में गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि को रोक पाने में सरकार की विफलता के कारण लोगों में आक्रोश है। इन मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए विध्वंसक बुलडोजर राजनीति सहित जाति व धार्मिक उन्माद एवं विवाद पैदा करने का षडयंत्र जारी है।
धर्म परिवर्तन पर नया कानून, एससी-एसटी आरक्षण का उप-वर्गीकरण करने का षडयंत्र लोगों को बांटने का प्रयास है। सरकार जातीय जनगणना से इंकार कर रही है। मस्जिद-मदरसा संचालन व वक्फ संरक्षण आदि में जबरदस्ती सरकारी दखलअंदाजी हो रही है। यूपी सरकार ने नजूल की जमीन के संबंध में जल्दबाजी में फैसला लिया, जिससे लेकर पूरे राज्य में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। सरकारी जमीन लीज पर देने के मामले में भी द्वेष व पक्षपात का रवैया अपनाया जा रहा है, जिसका खुद भाजपा के भीतर विरोध हो रहा है। सरकार की नीयत व नीति पर जनता को विश्वास नहीं रहा है। वहीं कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार की सख्ती कागजों पर ज्यादा है। इसका प्रभाव भाजपा के लोगों पर ही सबसे कम देखने को मिलता है। प्रदेश में बाढ़ से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त है, उनकी मदद देने के बारे में भी सरकार की बयानबाजी ज्यादा है।
आरक्षण गांधी और नेहरू की देन नहीं
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान की जानकारी मिली, जिसमें एससी-एसटी आरक्षण का श्रेय महात्मा गांधी और पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू को देने की बात कही गयी है। इसमें तनिक भी सच्चाई नहीं है। आरक्षण का पूरा श्रेय डाॅ. भीमराव अंबेडकर को ही जाता है। कांग्रेस के लोगों ने उन्हें संविधान सभा में जाने से रोकने की साजिश की, चुनाव में भी हराने का काम किया। कानून मंत्री पद से भी इस्तीफा देने को विवश किया।