नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (टीएमएसी) सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रविवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ने आखिरकार इस बात को माना है कि उसने पश्चिम बंगाल को 100 दिन की ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत शून्य धन दिया है। ब्रायन ने इसके लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) पर सरकार द्वारा राज्यसभा में दिए गए एक सवाल के जवाब का हवाला दिया।
राज्यसभा सदस्य ओ ब्रायन ने ‘एक्स’ पर कहा, टीएमसी के लोकसभा सदस्य अभिषेक बनर्जी इस योजना पर श्वेत पत्र की मांग कर रहे हैं, ताकि यह साबित हो सके कि केंद्र ने 2021 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद पश्चिम बंगाल को क्या भुगतान किया है।
ओ ब्रायन ने सरकार के 26 जुलाई के उस जवाब को एक्स पर साझा किया, जिसमें मनरेगा के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 100 दिनों का रोजगार पूरा करने वाले परिवारों की संख्या पर पिछले पांच वित्तीय वर्षों के आंकड़े दिए गए थे। उन्होंने लिखा, आखिरकार! मोदी सरकार ने संसद में माना है कि बंगाल को मनरेगा कोष के लिए शून्य धन दिया गया है।
संसद के ऊपरी सदन में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान की ओर से दिए गए लिखित जवाब के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 2023-24 में 100 दिनों का रोजगार पूरा करने वाले परिवारों की संख्या शून्य थी। 2022-23 में योजना के तहत राज्य में 1,618 परिवारों को 100 दिनों का काम मिला। जबकि 2021-22 में यह 4,71,136 था। मंत्रालय ने कहा कि 2020-21 में कोरोना की पहली लहर के दौरान यह आंकड़ा 6,78,633 और 2019-20 में यह 3,65,683 था।