अहमदाबाद : गुजरात सरकार ने अरब सागर में मछली पकड़ने पर लगाए गए प्रतिबंध को 15 अगस्त बढ़ाने का फैसला किया है। कांग्रेस ने इस कदम को अनुचित बताया है। विपक्षी पार्टी ने कहा कि इससे मछुआरा समुदाय को वित्तीय नुकसान होगा। हालांकि, राज्य के मत्स्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मछलियों के प्रजनन और उन्हें समय देने के लिए मछुआरा संघ की ओर से प्रतिवेदन मिला, जिस पर विचार करने के बाद ही केंद्र सरकार के परामर्श से यह निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस फैसले तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिक आंकडों और मौसम की स्थिति को भी ध्यान में रखा। अधिकारी ने कहा कि इस कदम को अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाए जाने की संभावना है। साल 2021 से राज्य में वार्षिक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध 1 जून से 31 जुलाई तक प्रभावी रहा।
मत्स्य विभाग ने 31 जुलाई को गुजरात मत्स्य पालन (संशोधन) नियम, 2020 में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि कोई भी व्यक्ति एक कैलेंडर वर्ष में 1 जून से 15 अगस्त (कुल 76 दिन) तक अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय जल क्षेत्र मं किसी भी प्रकार की मछली नहीं पकड़ेगा।
हालांकि, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने आज एक बयान में कहा, 15 अगस्त तक मछली पकडने पर प्रतिबंध लगाने का गुजरात सरकार का फैसला अनुचित है। हम मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गुजरात सरकार से आग्रह करते हैं कि वे इस पर विचार करें और मछुआरों को तुरंत समुद्र में जाने दें।
उन्होंने दावा किया मत्स्य आयुक्त ने 31 जुलाई को दोपहर 12 बजे एक सर्कुलर जारी किया। जिसमें कहा गया कि अगर 1, 2 और 3 अगस्त को मौसमम खराब रहता है, तो मछुआरों को समुद्र में मछली पकड़ने जाने के लिए टोकन नहीं मिलेगा। गोहिल ने कहा कि उसी दिन शाम सात बजे एक और सर्कुलर जारी किया गया, जिसमें 15 अगस्त तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
उन्होंने कहा कि मछुआरों से चर्चा किए बिना अचानक मत्स्य पालन अधिनियम 2003 के नियमों में संशोधन किया गया। इस वजह से मछुआरों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि एक अगस्त से मछली पकड़ने का मौसम शुरू होने के साथ ही मछुआरों ने अपनी नावों पर डीजल, बर्फ औऱ खाद्य पदार्थों आदि की व्यवस्था की थी। दूर-दराज के मछुआरे ये सोचके कच्छ के जखाऊ पहुचे थे कि सीजन एख अगस्त को शुरू होगा। उन्होंने अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए रेल टिकटों पर पैसे खर्च किए हैं, जहां उन्हें अगले दो हफ्ते तक बैठने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।