कर्नाटक के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकारियों ने इंफोसिस को जारी किया 32,403 करोड़ रुपये का पूर्व-कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया है। यह नोटिस इंफोसिस को अपनी विदेशी शाखाओं से ली गई सेवाओं के लिए जारी किया गया था। इंफोसिस ने बताया कि कंपनी को जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) को आगे का जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी बुधवार को तब सुर्खियों में आई थी, जब जीएसटी अधिकारियों ने 2017 से शुरू होने वाले पांच वर्षों के लिए अपनी विदेशी शाखाओं से कंपनी द्वारा ली गई सेवाओं के लिए 32,403 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा था।
बृहस्पतिवार देर शाम फाइलिंग में इंफोसिस ने बताया, ‘कंपनी को कर्नाटक राज्य के अधिकारियों से एक पत्र मिला है, जिसमें पूर्व-कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया गया है और कंपनी को इस मामले पर डीजीजीआई केंद्रीय प्राधिकरण को आगे की प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।’
इन खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होता- इंफोसिस
इंफोसिस ने एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इस नोटिस को पूर्व में जारी किया गया कारण बताओ नोटिस करार दिया था। कंपनी का कहना था कि इन खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होता। बंगलूरू स्थित सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी ने बताया कि कर्नाटक के जीएसटी अधिकारियों ने जुलाई 2017 से मार्च 2022 की अवधि के बीच 32,403 करोड़ रुपये का इंफोसिस लिमिटेड को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उन्होंने कहा कि कंपनी ने नोटिस का जवाब दे दिया है।
इंफोसिस ने बुधवार को वैधानिक फाइलिंग में कहा, ‘कंपनी को इसी मामले पर जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक से कारण बताओ नोटिस भी मिला है और कंपनी इसका जवाब देने की प्रक्रिया में है।’
इंफोसिस ने कहा, ‘इसके अलावा, जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा हाल ही में जारी एक परिपत्र के अनुसार, विदेशी शाखाओं द्वारा भारतीय इकाई को प्रदान की जाने वाली सेवाएं जीएसटी के अधीन नहीं हैं।’
इंफोसिस की तरफ से दिया गया तर्क
इसे लेकर इंफोसिस की तरफ से तर्क दिया गया था। कंपनी ने कहा कि इंफोसिस ने अपने सभी जीएसटी का भुगतान किया है। इसके अलावा, भुगतान के दौरान केंद्र और राज्य द्वारा जारी नियमों का पूरी तरह से पालन किया है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, जीएसटी अधिकारियों ने इंफोसिस को भेजे गए दस्तावेज में कहा है कि इंफोसिस लिमिटेड ने जुलाई 2017 से 2022 तक विदेशों में स्थित अपनी शाखाओं से सेवाएं लीं। इसलिए, कंपनी को 32,403.46 करोड़ रुपये का एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) का भुगतान करना होगा। जीएसटी इंटेलिजेंस निदेशालय का मानना है कि इंफोसिस ने सेवाओं के आयात पर प्राप्तकर्ता के रूप में आईजीएसटी का भुगतान नहीं किया।