भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2026 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पांचवां हिस्सा बनने की ओर बढ़ रही है’वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रा और वित्त (RCF) पर रिपोर्ट’ की प्रस्तावना में रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जोर देकर कहा कि वित्तीय क्षेत्र में डिजिटलीकरण अगली पीढ़ी की बैंकिंग का मार्ग प्रशस्त कर रहा है और सस्ती कीमत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत डिजिटल क्रांति के मामले में सबसे आगे है।
रिपोर्ट के अनुसार देश ने डिजिटल भुगतान में तेजी लाकर न केवल वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) को अपनाया है, बल्कि बायोमेट्रिक पहचान, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), मोबाइल कनेक्टिविटी, डिजिटल लॉकर और सहमति-आधारित डेटा साझाकरण के मामले में भी उपलब्धि हासिल की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल क्रांति से बैंकिंग ढांचे और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा मिल रहा है जो प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और कर संग्रह दोनों में मदद करते करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार जीवंत ई-बाजार उभर रहे हैं और अपनी पहुंच का विस्तार कर रहे हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का दसवां हिस्सा है; पिछले एक दशक में देखी गई वृद्धि दर को देखते हुए, यह 2026 तक जीडीपी का पांचवां हिस्सा बनने के लिए तैयार है।
इस क्रांति को सक्रिय करने के लिए अनेक सबल शक्तियां एक साथ आ गई हैं। हालांकि 2023 में भारत में इंटरनेट की पहुंच 55 प्रतिशत थी, लेकिन हाल के तीन वर्षों में इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार में 199 मिलियन की वृद्धि हुई है।
भारत में प्रति जीबी डेटा खपत की लागत वैश्विक स्तर पर सबसे कम 13.32 रुपये (0.16 डॉलर) प्रति जीबी के औसत के साथ है। भारत 2023 में प्रति उपयोगकर्ता प्रति माह औसतन 24.1 जीबी की खपत के साथ दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल डेटा खपत वाले देशों में एक है।
रिपोर्ट की प्रस्तावना में आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि यूपीआई ने अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए खुदरा भुगतान अनुभव मामले में क्रांति ला दी है, जिससे लेनदेन तेज और अधिक सुविधाजनक हो गया है। डिजिटल मुद्रा क्षेत्र में, भारतीय रिजर्व बैंक ई-रुपया, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के पायलट रन के साथ सबसे आगे है।
रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम ओपन क्रेडिट एनेबलमेंट नेटवर्क, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स और फ्रिक्शनलेस क्रेडिट के लिए पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म जैसी पहलों के साथ जीवंत होता जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फिनटेक बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ ऋण सेवा प्रदाताओं के रूप में सहयोग कर रहे हैं। वे डिजिटल क्रेडिट की सुविधा के लिए प्लेटफॉर्म भी संचालित कर रहे हैं। बिगटेक तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाताओं के रूप में भुगतान ऐप और ऋण उत्पादों को समर्थन प्रदान कर रहे हैं।