कोलकाता: कोयला मंत्री ने स्पष्ट किया कि देश में बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र मांग को पूरा करने के लिए सूखे ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। देश में कोयले की कोई कमी नहीं है।
वित्त वर्ष 2025 में अतिरिक्त 11 खदानों से उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इसके अलावा, 65 गैर-परिचालन कोयला ब्लॉक विनियामक मंजूरी प्राप्त करने के विभिन्न चरणों में हैं, जो नौ राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में वितरित हैं। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की कोई कमी नहीं है। केंद्र मांग को पूरा करने के लिए सूखे ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया और वाणिज्यिक खदानों की उत्पादकता में वृद्धि करके दीर्घकालिक मांग को पूरा किया जाएगा। कोयला और खान मंत्री किशन रेड्डी ने बताया, “हम सभी ताप विद्युत संयंत्रों को कोयला आपूर्ति कर रहे हैं। हमने आयात हुए कोयले पर आधारित संयंत्रों से अनुरोध किया है कि वे अपनी तकनीक बदलकर घरेलू ईंधन का उपयोग करें। देश में कोयले की कोई कमी नहीं है।”
दरअसल, मानसून के मौसम में कोयले के उत्पादन में आमतौर पर बाधा आती है। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक खदानों से संबंधित कुछ तकनीकी मुद्दों का समाधान किया जा रहा है। घरेलू ताप विद्युत संयंत्रों के लिए 4 प्रतिशत आयातित कोयले के मिश्रण से संबंधित बिजली मंत्रालय की सलाह पर किशन रेड्डी ने कहा, कोल इंडिया सफलतापूर्वक उत्पादन बढ़ा रहा है, लेकिन मिश्रण की सलाह बिजली की मांग में अचानक वृद्धि के कारण ब्लैकआउट के जोखिम को कम करने के लिए दी गई है।
वहीं इस महीने की शुरुआत में कोयला मंत्रालय के नामित प्राधिकरण ने चालू और गैर-संचालन वाली कोयला खदानों की स्थिति की समीक्षा बैठक की। बैठक में प्राधिकरण ने उन कोयला ब्लॉकों को चालू करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो विकास के उन्नत चरणों में हैं। साथ ही विभाग ने कोयला उत्पादन बढ़ाने में सभी आवंटियों के प्रयासों की सराहना की। इसके अलावा 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए प्रतिबद्ध उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने का आग्रह किया। कोयला मंत्रालय ने 575 मिलियन टन की अधिकतम क्षमता वाली 161 खदानों का आवंटन या नीलामी की है। इनमें से 58 को खदान खोलने की अनुमति मिल गई है जिसमें से 54 चालू हैं। पिछले साल इन खदानों ने 147 मिलियन टन उत्पादन किया था, जो देश के कुल कोयला उत्पादन का 15 प्रतिशत था।