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केरल में फिर से निपाह की दस्तक, मृत्युदर 70% से अधिक; जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

केरल में एक बार फिर से गंभीर निपाह संक्रमण का जोखिम बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में संक्रमण का इलाज करा रहे 14 वर्षीय एक लड़के की रविवार को मौत हो गई। उसे सांस की दिक्कत के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था। मलप्पुरम निवासी इस बच्चे में शनिवार को संक्रमण की पुष्टि की गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोगी के संपर्क में आए करीब 246 लोगों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें से 63 में उच्च जोखिम माना जा रहा है। केरल में इस घातक संक्रामक रोग को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को अलर्ट रहने और बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी है।

इससे पहले पिछले साल अगस्त-अक्तूबर के महीने में भी केरल में निपाह संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए थे। कोझिकोड जिला इससे सबसे ज्यादा प्रभावित माना जा रहा था। संक्रमण को देखते हुए जिले के शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने के भी आदेश जारी किए गए थे।

आइए जानते हैं कि निपाह का संक्रमण क्यों खतरनाक माना जाता है, ये कैसे फैलता है और बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

स्वास्थ्य अधिकारियों ने किया अलर्ट

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा, संक्रमण का जोखिम बढ़ रहा है, सुरक्षात्मक रूप से सभी लोगों को बचाव के लिए प्रयास करते रहने की आवश्यकता है। निपाह तेजी से बढ़ सकता है इसलिए सावधानी जरूरी है। संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में जाने से बचें।

निपाह वायरस का संक्रमण एक जूनोटिक बीमारी है जो सुअर और चमगादड़ जैसे जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। जानवरों से इंसानों में संक्रमण के अलावा संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों को भी इसका खतरा हो सकता है। निपाह, बड़ा स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है, यह कोरोना से ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसकी मृत्युदर 45-75 फीसदी तक मानी जाती रही है।

निपाह संक्रमण और इसका जोखिम

चमगादड़ों को निपाह वायरस संचार का प्रमुख कारण माना जाता है। चमगादड़ों द्वारा दूषित फलों या अन्य भोजन के माध्यम से ये इंसानों में फैल सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फलों-सब्जियों को खाने से पहले उसे अच्छी तरह से साफ करें। पक्षियों द्वारा कटा हुआ फल न खाएं।

संक्रमण के शिकार लोगों में एसिम्टोमैटिक (कोई भी लक्षण न होना) से लेकर श्वसन बीमारी और घातक इंसेफेलाइटिस का खतरा हो सकता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, उल्टी और श्वसन संक्रमण शामिल हैं। गंभीर मामलों में दौरे पड़ने और मस्तिष्क की सूजन के कारण कोमा भी हो सकता है। निपाह के लिए कोई टीका नहीं है।

निपाह संक्रमण का इलाज

निपाह संक्रमण और इसके जोखिमों में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को प्रभावी माना जाता रहा है। पिछले साल भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मंगाई थी। इसे अब केरल में दिया जाएगा। फिलहाल निपाह वायरस के खिलाफ कोई टीका उपलब्ध नहीं है। निपाह वायरस से संक्रमित लोगों के साथ शारीरिक संपर्क से ये एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी जाती है।

कैसे करें बचाव?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक अगर किसी को 3-5 दिनों से संक्रमण के लक्षणों का अनुभव हो रहा है और ये सामान्य उपचार से ठीक नहीं हो रहा है तो इसपर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। चूंकि इससे बचाव के लिए कोई टीका नहीं है ऐसे में संक्रमण को कम करने के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।