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निठारी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं सीबीआई और यूपी सरकार, हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती

नई दिल्ली: निठारी हत्याकांड मामले में सुरेंद्र कोली को बरी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार और सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी शुक्रवार को सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है। जस्टिस बीआर गवई, केवी विश्वनाथन और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने नोटिस जारी कर कोली से संबंधित याचिकाओं पर जवाब मांगा और इन याचिकाओं को भी मामले में लंबित अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ने का निर्देश दिया।

एक पीड़ित के पिता ने दायर की थी याचिका
शीर्ष अदालत ने 8 जुलाई को कोली से जुड़े हाईकोर्ट के पिछले साल 16 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर जवाब मांगा था। मई में सर्वोच्च न्यायालय ने एक पीड़ित के पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी, जिसमें कोली को बरी करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस मामले में, मोनिंदर सिंह पंढेर को सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया था, जबकि कोली को 28 सितंबर, 2010 को मृत्युदंड दिया गया था।

12 मामलों में सुरेंद्र कोली और दो मामलों में पंढेर को दी गई मौत की सजा को पलटते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘अभियोजन पक्ष दोनों आरोपियों के अपराध को ‘संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है और जांच, जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात से कम नहीं है’।

कोली और पंढेर के खिलाफ दर्ज हुए थे 19 मामले
2007 में पंढेर और कोली के खिलाफ कुल 19 मामले दर्ज किए गए थे। सीबीआई ने सबूतों के अभाव में तीन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। शेष 16 मामलों में, कोली को पहले तीन में बरी कर दिया गया था और एक में उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। बता दें कि 29 दिसंबर, 2006 को राष्ट्रीय राजधानी की सीमा से लगे नोएडा के निठारी में पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के साथ ही सनसनीखेज हत्याओं का खुलासा हुआ। घर के आसपास के इलाके में नालों की खुदाई और तलाशी के दौरान और अधिक कंकाल मिले। इनमें से ज़्यादातर अवशेष गरीब बच्चों और युवतियों के थे जो इलाके से लापता हो गए थे।