कांची शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि इस दुनिया की रक्षा और विकास के लिए भारत का शक्तिशाली होना आवश्यक है और भारत की संस्कृति की रक्षा और इसके विकास के लिए ब्राह्मणों को शक्तिशाली होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण चाहे जहां हों, और चाहे जिस भूमिका में हों, उन्हें अपने उन स्वधर्मों का पालन करना चाहिए, जिन्हें सनातन धर्म की परंपरा में उनके लिए आवश्यक बताया गया है। सनातन संस्कृति में देश को सही मार्ग दिखाना, अध्ययन-अध्यापन, यज्ञ करना और यज्ञ करवाना, उपनयन संस्कार करना, दान देना और दान लेना ब्राह्मण के धर्म बताए गए हैं।
ब्राह्मण ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (BOA) के द्वारा देश के विकास में प्रमुख भूमिका निभाने वाले ब्राह्मणों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दिए अपने संदेश में विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कलयुग में संघ को ही शक्ति बताया गया है, इसलिए पूरे देश में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सभी ब्राह्मणों को एक सूत्र में बंध जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण छात्र जो गरीब हों, उनको पढ़ने के लिए, गरीब ब्राह्मण कन्याओं के विवाह के लिए और अन्य गरीब ब्राह्मण को आगे बढ़ाने के लिए यथासंभव प्रयास किया जाना चाहिए। इसके लिए सबको अपना सहयोग देना चाहिए।
‘सबका विकास हमारा लक्ष्य’
ब्राह्मण ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक और मुख्य संरक्षक पंडित सुखबीर शर्मा ने कहा कि इस संस्था को ब्राह्मणों के लिए बनाया गया है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वह समझ में किसी भी अलग संस्था या वर्ग से किसी तरह का कोई विरोध रखते हो उनका लक्ष्य पूरे देश को आगे बढ़ाना है। इसके लिए समाज में हर व्यक्ति हर संस्था और हर वर्ग का सहयोग आवश्यक है, लेकिन समय के साथ विकास की धारा में पीछे रहे ब्राह्मणों को आगे लाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज को हमेशा दिशा दिखाता रहा है, आज उसे मजबूत करने की जरूरत है जिस देश की धाम और संस्कृति सुरक्षित रहे।