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यूं ही नहीं राहुल ने लगाया चुनावों के बाद भी मणिपुर पर दांव, यह है कांग्रेस का ‘प्लान’

राहुल गांधी के मणिपुर दौरे के बाद कांग्रेस ने सियासी तौर पर अपनी अगली रणनीति की तैयारी कर ली है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद भी मणिपुर के मुद्दे को छोड़ने वाली नहीं है। कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि मणिपुर के मामले पर चुनावों के बाद भी उनके नेता मणिपुर की आवाज उठाते हैं, तो इसका एक बहुत सधा हुआ सकारात्मक नैरेटिव सेट होगा। राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि राहुल गांधी का चुनाव के बाद भी मणिपुर जाना यह बताता है कि पार्टी कितनी सधी हुई रणनीति के मुताबिक काम कर रही है। पार्टी से जुड़े रणनीतिकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में भी उनकी पार्टी लगातार इस मुद्दे को आगे उठाती रहेगी। इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने रणनीतिकारों को कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां के लिए एक टास्क भी दिया है। इस संबंध में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक भी हुई।

राहुल गांधी मंगलवार को रायबरेली में थे। कहने को तो राहुल गांधी बीते एक महीने में दूसरी बार रायबरेली पहुंचे हैं। लेकिन रायबरेली से ज्यादा चर्चा राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा को लेकर हुई है। कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को कुछ महत्वपूर्ण नेताओं के साथ मणिपुर मामले में राहुल गांधी की ओर से किए गए वादे और आश्वासन को लेकर रणनीति बनाई गई। सूत्रों के मुताबिक इस रणनीति के तहत मणिपुर के लोगों को कांग्रेस लगातार ऐसे ही समर्थन करती रहेगी। कहा यह भी जा रहा है कि मानसून सत्र में कांग्रेस एक बार फिर से मणिपुर के मुद्दे पर बड़ी तैयारी के साथ संसद पहुंचने वाली है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया कहते हैं कि राहुल गांधी ने चुनावों के बाद मणिपुर जाकर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि उनकी पार्टी और उनके नेता कोई सियासत नहीं कर रहे हैं। वह हकीकत में मणिपुर के दुख दर्द को महसूस कर रहे हैं और उनकी आवाज बनकर उनके लिए न्याय मांग रहे हैं।

हालांकि सियासी रणनीतिकार इसको एक अलग नजरिए से देखते हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने बहुत ही सधे तरीके से मणिपुर को अपने सियासी तरकश में सजाने की तैयारी की है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार डीपी सिंह कहते हैं कि चुनाव के दौरान जब राजनीतिक दल कोई गर्म मुद्दा उठाते हैं, तो उसके सियासी मायने निकाले जाते हैं। क्योंकि इस वक्त चुनाव खत्म हो चुके हैं। ऐसे में राहुल गांधी का मणिपुर जाना और वहां के लोगों से मिलना सियासी नजरिए से बहुत दूरदृष्टि जैसा दिख रहा है। सिंह कहते हैं कि जनता के बीच में एक नैरेटिव सेट करना भी सियासी पार्टियों के लिए बड़ा टास्क होता है। राहुल गांधी मणिपुर जाकर इस वक्त जो काम कर रहे हैं वह एक नैरेटिव सेट करने जैसा ही है। उनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से मणिपुर जाना और वहां के लोगों की समस्याओं को सामने लाकर वह न सिर्फ नॉर्थ-ईस्ट और मणिपुर में कोई संदेश देना चाहते हैं, बल्कि दक्षिण से लेकर उत्तर और पूर्व से लेकर पश्चिम तक वह सियासी संदेश देने की पिच तैयार कर रहे हैं। डीपी सिंह कहते हैं मणिपुर को लेकर लगातार देश के लोगों में अलग अलग तरह की चर्चाएं होती रहती हैं। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों में भावनात्मक तौर पर मणिपुर से जुड़े हुए लोगों का समर्थन कांग्रेस पार्टी लेने की फिराक में भी है। सियासी जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी का मणिपुर दौरा उसी भावनात्मक समर्थन को बूस्टर के तौर पर देखते हुए आगे की सियासी पिच तैयार कर रही है।