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जब सत्संग गए तो गले में था मंगलसूत्र और जेवर, शव वापस पहुंचे तो सब कुछ था गायब

हाथरस: सिकंदराराऊ के फुलरई मुगलगढ़ी में सत्संग के बाद मची भगदड़ के कुछ और सच सामने आ रहे हैं। इस भगदड़ में जान गंवाने वाली महिलाएं घरों से मंगलसूत्र व अन्य जेवर पहनकर सत्संग में गई थीं, लेकिन जब इनके शव अस्पताल और घरों पर पहुंचे तो मंगलसूत्र, कान के कुंडल, हाथ की चूड़ी सहित अन्य जेवर गायब थे। पीड़ितों का कहना है कि भगदड़ के दौरान इस तरह के कृत्य ने मानवता को तार-तार कर दिया है।

हादसे के आठवें दिन सत्संग स्थल का नजारा कुछ बदला हुआ था। घटनास्थल आज भी भयावह मंजर को बयां कर रहा था। यहां जगह-जगह पानी भरा हुआ था। भगदड़ के निशान थे। जगह-जगह लोगों की चप्पलें, कपडे़, बर्तन, बैग आदि सामान फैले हुए थे। इस सामान को एकत्रित कर मंच के निकट रख दिया गया है। यह वही मंच है, जहां बाबा ने सत्संग किया था।

सिकंदराराऊ ब्लॉक में मृत्यु प्रमाण पत्र लेने पहुंचे परिजन बाद में घटनास्थल पर पहुंचे। यहां उन्होंने अपने परिजनों के खोये हुए सामानों को तलाशा। जिसमें बैग व अन्य कुछ सामान मिला। परिजनों ने बताया कि घर से महिलाएं मंगलसूत्र, कानों में कुंडल, चूड़ियां पहनकर आईं थीं, लेकिन जब उन्हें शव मिले तो सारे जेवर गायब थे। भगदड़ के दौरान इस तरह के कृत्य ने उनके जेहन में कई सवाल खड़े कर रहा है आखिर यह किसने किया।

अस्पताल से शव मिला तो कुंडल नहीं थे
मृतक आशा देवी के पुत्र हरिकांत ने बताया कि अस्पताल से शव मिला था। सिकंदाराराऊ में मृत्यु प्रमाण पत्र लेने आए थे। मम्मी के मोबाइल, कुंडल किसी भी सामान का कोई पता नहीं चला है। इसके बाद उन्होंने घटनास्थल से ही अपने घर पर फोन किया। परिजनों को बताया कि मम्मी बैग में टिफिन, दवा लेकर गईं थीं, सब मिल गया है। बैग और टिफिन लेकर आता हूं। मम्मी पर फोन था, क्या। उनकी चप्पल तो दिख न रही है। लोग खेत के पार हादसा होना बता रहे हैं। पता नहीं वहां हादसा कैसे हुआ, यह तो समझ नहीं आ रहा है।

मां का मंगलसूत्र और जेवर नहीं मिले
कासगंज के पटियाली निवासी ब्रजेश ने बताया कि उनकी मां का सत्संग में निधन हो गया। अब वह घटनास्थल पर यह जानने आए हैं कि हादसा कैसे हुआ, क्या हुआ था। मां का खोया हुआ सामान भी तलाशने आए थे। उनके कुंडल, मंगलसूत्र, नाक की बाली, पायल, चूड़ियां लेने के लिए आए हैं, क्योंकि जब उन्हें शव मिला तो कोई गहना नहीं था। मां के घायल होने की सूचना मिली थी, एटा पहुंचे तो उनकी मौत हो चुकी थी। एटा में पोस्टमार्टम रिपोर्ट व मृत्यु प्रमाण पत्र लेने गए थे, लेकिन वहां से सिकंदाराराऊ भेज दिया गया, जबकि पोस्टमार्टम एटा में हुआ था।

मां की जंजीर, बाली, कुंडल नहीं मिले
कासंगज के पटियाली निवासी जयवीर ने बताया कि मां की पोस्टमार्टम रिपोर्ट व मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए एटा गए थे। वहां कह दिया गया कि सिकंदराराऊ जाइए। इसलिए यहां आए हैं। रास्ते में सत्संग स्थल मिला तो आ गए हैं। मां के गले की जंजीर, नाक की बाली, कुंडल नहीं मिले हैं। सब कहां गए पता नहीं चल रहा है।

घर से निकाल दी भोले बाबा की तस्वीर
पीड़ित ब्रजेश कहते हैं कि बाबा को पता था कि 80 हजार लोगों की अनुमति मांगी गई है और भीड़ अधिक हो रही है तो उसी हिसाब से व्यवस्था करनी चाहिए। बाबा को मंच से यह बोलना चाहिए था कि आराम-आराम से निकलें। सेवादारों को व्यवस्था बनाने के लिए कहना चाहिए था। दुखी मन से कहा कि अब बाबा को उनका परिवार नहीं मानेगा। मां ही उनसे जुड़ीं थीं। जिस दिन यह घटना हुई उसी दिन से भोले बाबा का फोटो तक हटा दिया है।