लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए आम सहमति नहीं बन पाने के बाद बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि जब राजनाथ सिंह ने प्रयास किया तब कांग्रेस ने पहले उपाध्यक्ष पद तय करने की शर्त रखी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ऐसी राजनीति की कठोर निंदा करती है।
18वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले से ही बवाल चल रहा है। विपक्ष स्पीकर पद के चुनाव को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। 18वीं लोकसभा में अध्यक्ष पद पर आम सहमति बनाने के भाजपा के शीर्ष प्रयास असफल हुए क्योंकि इंडिया गठबंधन ने इस पद के लिए 8 बार के सांसद के सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला किया। इस पद के लिए भाजपा के कोटा सांसद ओम बिरला ने इसके लिए नामांकन किया था। हालांकि ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी अध्यक्ष थे।
मंगलवार को एनडीए के सभी दलों से चर्चा के बाद निर्णय लिया गया कि ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुना जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सुबह राजनाथ सिंह मल्लिकार्जुन खरगे से चर्चा करना चाहते थे, लेकिन वे व्यस्त थे। इसलिए उन्होंने कि वेणुगोपाल आपसे बात करेंगे। लेकिन टीआर बालू और केसी वेणुगोपाल से बात करने के बाद, पुरानी मानसिकता दिखाई दी कि हम शर्तें तय करेंगे।
पीयूष गोयल ने बताया कि बातचीत में यह कहा गया कि पहले यह तय करें कि लोकसभा का उपाध्यक्ष कौन होगा और फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन दिया जाएगा, हम इस तरह की राजनीति की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह अच्छी परंपरा है कि अगर लोकसभा सर्वसम्मति से और निर्विरोध अध्यक्ष चुनती तो सदन की गरिमा बनी रहती और सभी दलों का भी योगदान होता। पीयूष गोयल ने कहा, जैसे अध्यक्ष पूरे सदन का होता है, सत्ता या विपक्ष का नहीं, वैसे ही उपसभापति भी पूरे सदन का होता है। यह सब लोकसभा की परंपरा के अनुरूप नहीं है।
वहीं राजनाथ सिंह ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे वरिष्ठ नेता है, मैं उनका सम्मान करता हूं। कल से मेरी उनसे तीन बार बात हुई है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री ललन सिंह ने कहा कि लोकतंत्र शर्तों पर नहीं चलता।
मंत्री ललन सिंह ने बताया कि केसी वेणुगोपाल और टीआर बालू आए थे, उन्होंने रक्षा मंत्री से बात की। रक्षा मंत्री ने एनडीए की ओर से लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के बारे में जानकारी दी और समर्थन मांगा। वेणुगोपाल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का नाम स्वीकार किया जाना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि जब चुनाव आएगा, तो हम साथ बैठकर चर्चा करेंगे। वे अपनी शर्त पर अड़े रहे। शर्तों के आधार पर वो लोकतंत्र चलाना चाहते हैं, दबाव की राजनीति करना चाहते हैं। लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता।
बता दें कि यह पहली बार होगा जब निचले सदन के अध्यक्ष के लिए चुनाव होंगे। आजादी के बाद से लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति से होता रहा है। इस पद के लिए चुनाव 26 जून को होंगे। 543 सदस्यों वाली लोकसभा में एनडीए के 293 सांसद हैं। वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन को 234 सांसद हैं।