Thursday , November 7 2024
Breaking News

इन दो वजहों से फेफड़ों में भरता जा रहा है ‘जहर’, आप भी तो नहीं कर रहे ये गलतियां?

फेफड़ों की बीमारियों का जोखिम दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है। अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और फेफड़ों का कैंसर इस महत्वपूर्ण अंग को प्रभावित करने वाली सबसे प्रमुख समस्याएं हैं। आंकड़े बताते हैं, हर साल लाखों लोगों की मौत फेफड़ों की बीमारियों के कारण हो जाती है। किसी भी उम्र के व्यक्ति को फेफड़ों की समस्या हो सकती है, इसलिए फेफड़ों की अच्छी देखभाल करना और इसे नुकसान पहुंचाने वाली आदतों से बचाव करते रहना जरूरी है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, जीवनशैली की कई गड़बड़ आदतों को फेफड़ों के लिए हानिकारक माना जाता है। कुछ आदतें तो ऐसी हैं जो फेफड़ों में जहर भरने जैसी मानी जाती हैं। दुर्भाग्यवश देश में बड़ी आबादी इसकी शिकार है। आइए जानते हैं कि फेफड़ों के लिए कौन सी आदतें हानिकारक हैं जिससे सभी लोगों को दूरी बना लेनी चाहिए?

फेफड़ों की सेहत को लेकर बरतें सावधानी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं हमारे फेफड़े एक जटिल प्रणाली का हिस्सा हैं, जो ऑक्सीजन लाने और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालने के लिए हर दिन हजारों बार फैलते और सिकुड़ते हैं। फेफड़ों की बीमारी तब हो सकती है जब इस प्रणाली के किसी भी हिस्से में समस्या हो जाए। फेफड़े की बीमारियां दुनियाभर में तेजी से बढ़ती जा रही हैं। धूम्रपान, संक्रमण और प्रदूषण जैसे कई पर्यावरणीय कारक फेफड़ों को क्षति पहुंचा सकते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को इस अंग को स्वस्थ रखने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

आइए उन आदतों के बारे में जानते हैं जिन्हें फेफड़ों के लिए जहर के जैसा माना जाता है।

धूम्रपान भर रहा है फेफड़ों में जहर

अमेरिकन लंग्स एसोसिएशन का कहना है कि फेफड़ों के कैंसर और सीओपीडी जैसी गंभीर जानलेवा बीमारियों के लिए धूम्रपान प्रमुख कारक है। अस्थमा से पीड़ित लोगों में धूम्रपान की आदत अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकती है या उन्हें बदतर बना सकती है। धूम्रपान न करने वाले लोगों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में सीओपीडी से मरने की आशंका 13 गुना अधिक देखी जाती है।

सिगरेट आपके फेफड़े के ऊतकों को प्रभावित करते हैं जिससे फेफड़ों की सामान्य कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है। सिगरेट के हर कश में 7,000 से ज़्यादा रसायन होते हैं जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड भी शामिल है। लंबे समय तक इन रसायनों के संपर्क के कारण फेफड़े गंभीर रोगों का शिकार होते जाते हैं।

प्रदूषकों से रहें सावधान

धूम्रपान की ही तरह प्रदूषण वाली जगहों पर रहना भी सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है। इनडोर और आउटडोर प्रदूषक फेफड़ों की बीमारी का कारण बन सकते हैं। कभी-कभी कुछ प्रदूषकों से बचना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर आप खराब वायु गुणवत्ता वाली जगहों पर रहते हैं तो इससे जोखिम और भी बढ़ जाता है।

प्रदूषित हवा में कई प्रकार के रसायनों का मिश्रण होता है जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं।