गर्मियों में कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा काफी बढ़ जाता है। हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन जैसी स्थितियां गंभीर और जानलेवा दुष्प्रभावों का कारण बन सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, उच्च तापमान वाले इस मौसम में मूत्र पथ में संक्रमण (यूटीआई) के मामले भी अधिक देखे जाते हैं। यूटीआई मूत्र प्रणाली के किसी भी हिस्से में हो सकती है। ज्यादातर संक्रमण निचले मूत्र पथ- मूत्राशय और मूत्रमार्ग को प्रभावित करते हैं। अगर समय पर इसकी पहचान और इलाज न हो पाए तो संक्रमण के किडनी तक पहुंचने का खतरा हो सकता है।
डॉक्टर बताते हैं, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में यूटीआई होने का जोखिम अधिक होता है। यही कारण है कि उच्च तापमान वाले दिनों में हीट स्ट्रोक और गर्मी के अन्य दुष्प्रभावों से बचाव के साथ-साथ यूटीआई के खतरे को लेकर भी विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
डिहाइड्रेशन के कारण बढ़ सकती है समस्या
लखनऊ में यूरोलॉजी विभाग की डॉ. रचना सिंह बताती हैं, गर्मियों के दौरान यूटीआई होने का खतरा उन लोगों में अधिक देखा जाता रहा है जो तरल पदार्थों के सेवन कम करते हैं। डिहाइड्रेशन का ये भी एक दुष्प्रभाव हो सकता है। यूटीआई की स्थिति में पेशाब में जलन और दर्द के साथ बार-बार पेशाब आने, पेशाब की तीव्र इच्छा होने और पेशाब से खून आने की भी समस्या होने लगती है। समय रहते इसके लक्षणों की पहचान कर इलाज प्राप्त करना आवश्यक हो जाता है।
कैसे करें इसकी पहचान?
डॉक्टर बताती हैं, यूटीआई की स्थिति में सभी लोगों में लक्षण महसूस हों ये आवश्यक नहीं है। हालांकि संक्रमण बढ़ने के साथ कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं जिसको लेकर विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए।
पेशाब करने की तीव्र इच्छा जो दूर नहीं होती।
पेशाब करते समय जलन महसूस होना।
बार-बार पेशाब आना और थोड़ी मात्रा में पेशाब होना।
चमकीला गुलाबी या कोला के रंग का पेशाब होना।
मूत्र से तेज गंध आना।
महिलाओं में पैल्विक हिस्से में दर्द होना।
यूटीआई के लक्षण दिखें तो क्या करें?
डॉ रचना बताती हैं, यूटीआई जैसे लक्षण पेशाब से संबंधित कई और भी प्रकार की समस्याओं में देखे जाते हैं। इसलिए संक्रमण की जानकारी के लिए यूरिन टेस्ट जरूरी माना जाता है। एक आम मिथक है कि यूटीआई का इलाज क्रैनबेरी जूस से किया जा सकता है हालांकि इससे सभी लोगों को लाभ मिले ये जरूरी नहीं है।संक्रमण को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स को प्रयोग में लाया जाता है, हालांकि संक्रमण के कारक बैक्टीरिया के आधार पर इसमें बदलाव किया जा सकता है।
यूटीआई के खतरे से बचे रहने के लिए क्या करें?
डॉ रचना बताती हैं, गर्मी में यूटीआई के जोखिमों को कम करने के लिए हर दिन कम से कम तीन-चार लीटर पानी या तरल पदार्थ पीना सबसे जरूरी है। इसके अलावा हर तीन घंटे में पेशाब जरूर करें। संभोग के बाद पेशाब करना और जननांगों की साफ-सफाई जरूरी है। जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है उनमें यूटीआई का जोखिम अधिक होता है, ऐसे लोगों को अधिक सावधानी बरतते रहनी की सलाह दी जाती है।