नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के 85 साल के इतिहास में पहली बार कुछ बदलाव हुआ है। यहां कुल 2,600 रसोइयों और पानी देने वाले कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पास दो विशेष कैडरों के लिए कुल 12,250 कर्मचारी नियुक्त हैं। यह कर्मचारी 1939 में गठित लगभग 3.25 लाख पुरुष और महिला शक्ति बल के लिए रसोई, कैंटीन और इसी तरह के प्रशासनिक कार्यों को संभालते हैं।
कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल पर नियुक्त
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुधवार को एक आदेश के माध्यम से 1,700 रसोइयों और 900 पानी की सेवा देने वाले कर्मियों को कांस्टेबल पद से हेड कांस्टेबल के पद पर नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के 85 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
1939 के समय से ही अहम हिस्सा रहे
ये कर्मी 1939 में ब्रिटिश काल में बल की स्थापना के समय से ही इसका हिस्सा हैं। अधिकारी ने बताया कि 2016 में जब केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की थीं, तब उन्हें कुक और वॉटर कैरियर्स का विशिष्ट कैडर नाम दिया गया था। उन्होंने आगे बताया कि सबसे निचले स्तर पर भर्ती किए गए इन कर्मियों को कभी पदोन्नत नहीं किया जा सका और औसतन 30-35 वर्ष सेवा देने के बाद भी उन्हें उसी पद पर सेवानिवृत्त कर दिया गया जिस पर वे भर्ती किए गए थे।
हर बटालियन में 45 कर्मचारी
अधिकारी ने आगे कहा कि रसोइये और पानी पहुंचाने वाले कर्मी किसी भी बल के संचालन का एक अनिवार्य हिस्सा होते हैं क्योंकि वे युद्ध में जवानों को भोजन और पोषण प्रदान करते हैं। प्रत्येक सीआरपीएफ बटालियन में ऐसे लगभग 45 कर्मी होते हैं।
प्रथम अधिकारी ने बताया कि यह कदम सीआरपीएफ द्वारा तैयार किए गए और बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अनुमोदित एक प्रस्ताव के परिणामस्वरूप उठाया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन कर्मियों की आकांक्षाओं का ध्यान रखा जाए और उन्हें अन्य कैडर कर्मियों की तरह पदोन्नत किया जाए। उन्होंने बताया कि पदोन्नत किए गए 2,600 कर्मियों की भर्ती 1983 से 2004 के बीच हुई थी। अधिकारी ने बताया कि शेष कर्मियों को भी समय रहते पदोन्नत कर दिया जाएगा।