कोलकाता: देशभर में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। चुनाव आयोग लगातार आम नागरिकों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसके लिए वह नए-नए पैंतरे आजमा रहा है। हालांकि, इन सबके बीच मतदान अधिकारियों का साहस काबिल-ए-तारीफ है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में चुनाव कराने के दौरान मतदान अधिकारियों को ऐसे मतदाताओं का सामना करना पड़ा, जो मृत लोगों की जगह वोट डालने पहुंच गए थे। इतना ही नहीं, स्कूलों के अंधेरे गलियारों में जाने, बांध की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने से लेकर उपेक्षित शौचालयों को साफ करने तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
कहा जा सकता है कि यह लोकतंत्र को एक अटूट प्रतिबद्धता के साथ बनाए रखने का प्रयास है, जिसे चुनाव अधिकारी अपने रास्ते में आने वाली कई बाधाओं के बावजूद हासिल करने का प्रयास करते हैं। यह अधिकारी कठिन चुनौतियों के बावजूद यह सुनिश्चित करते हैं कि देश में संसदीय चुनाव कराने की एक विशाल और जटिल प्रक्रिया सफलतापूर्वक समाप्त हो।
अधिकारियों ने साझा कीं कहानियां
देश में लोकसभा चुनाव के सात चरणों में से छह चरण समाप्त हो चुके हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पश्चिम बंगाल में कुछ मतदान अधिकारियों से बात की जो अपने गढ़ लौट आए। अधिकारियों ने अपनी दिलचस्प कहानियां साझा कीं।
सुंदर दृश्य का उठाया लुत्फ
दुर्गापुर के एक स्कूल शिक्षक अरूप करमाकर उन लोगों में से एक हैं, जिनकी चुनाव में ड्यूटी पड़ी थी। उन्होंने चुनाव के दौरान हुए अपने अनुभव के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘मेरी ड्यूटी आसनसोल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बाराबनी विधानसभा क्षेत्र के एक स्कूल में बने केंद्र पर थी। मतदान केंद्र पर पहुंचने पर मैं और पूरी टीम हैरान रह गई थी। आसपास की पहाड़ियों और मैथन बांध के चारों ओर एक विशाल जलाशय से घिरा दृश्य बेहद खूबसूरत था। हमें किसी भी राजनीतिक पार्टी के समर्थकों या कार्यकर्ताओं की ओर से कोई परेशानी नहीं हुई।’
मतदान के दिन सुबह उन्होंने जलाशय के पानी में डुबकी भी लगाई। करमाकर ने देखा कि शाम को स्कूल के बगल में एक खेत में लगभग 50 गायों का झुंड इकट्ठा हो गया था। यह गाय इस जगह को अपना नियमित आश्रय मानती थीं। हालांकि, झुंड सुबह गायब हो गया था। उन्होंने कहा कि सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन इस बीच एक मृत शख्स वोट डालने आ गया। इससे स्थिती थोड़ी गंभीर हो गई।
वोट डालने मृत शख्स पहुंचा
करमाकर ने बताया, ‘एक व्यक्ति मतदान केंद्र आया और दावा किया कि उसका नाम मृतकों की सूची में है, लेकिन वह जिंदा है और वोट डालना चाहता है। इस पर पहले हम सभी चौंक गए फिर बूथ पर मौजूद सभी राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंटों ने पुष्टि की कि वह व्यक्ति सच में वही है, जो उसने होने का दावा किया था। उसके पास अपनी पहचान साबित करने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज थे और सत्यापन के बाद उसे मतदान करने की अनुमति दी गई।’