Thursday , November 7 2024
Breaking News

कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से BRS ने गंवाए 15 निकाय; ग्रेटर हैदराबाद की मेयर ने भी छोड़ा साथ

हैदराबाद:  तेलंगाना में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से बीआरएस को एक और बड़ा झटका लगा है। बीआरएस ने अविश्वास प्रस्ताव और इस्तीफे के कारण 15 नगर निकाय अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद गंवा दिए हैं। शहरी निकाय में कांग्रेस को महत्वपूर्ण पद मिलने के कारण कांग्रेस के और मजबूत होने की उम्मीद है। 2020 में हुए निकाय चुनाव में बीआरएस ने 120 नगरपालिकाओं में से 107 पर जीत हासिल की थी।

बीआरएस को सबसे बड़ा तब लगा, जब ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम की मेयर विजया लक्ष्मी आर गडवाल और उनकी डिप्टी मोठे श्रीलता शोबन रेड्डी ने बीआरएस छोड़कर दो माह पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था। गडवाल मार्च में ही कांग्रेस में शामिल हुईं थी। वहीं उनके पिता केशव राव, जो बीआरएस से राज्यसभा सांसद थे, वे भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। आविश्वास प्रस्ताव का सिलसिला फरवरी में शुरू हुआ, कांग्रेस नेता बुर्री श्रीनिवास जब नलगोंडा नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में चुने गए।

2025 में होंगे निकाय चुनाव
हालांकि, कई नगर निकायों में बीआरएस ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद को बरकरार रखा। वर्तमान में नगर पालिकाओं की कुल संख्या 129 है, जबकि जीएचएमसी सहित 13 नगर निगम हैं। जनवरी 2025 में नगर निगम के चुनाव होने हैं

जानें कौन हैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी
रेवंत रेड्डी का जन्म 8 नवंबर 1967 को अविभाजित आंध्र प्रदेश में नगरकुर्नूल के कोंडारेड्डी पल्ली नामक स्थान पर हुआ था। रेवंत के पिता का नाम अनुमुला नरसिम्हा रेड्डी और माता का नाम अनुमुला रामचंद्रम्मा है। उन्होंने हैदराबाद में ए.वी. कॉलेज (ओस्मानिया विश्विद्यालय) से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। पिछले विधानसभा की हार के बाद रेवंत ने 2019 लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। रेवंत तेलंगाना में कांग्रेस के उन तीन लोकसभा सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने 2019 में चुनाव जीता था।

मल्काजगिरि सीट से उतरे कांग्रेस उम्मीदवार ने टीआरएस के एम राजशेखर रेड्डी को करीबी मुकाबले में 10 हजार से ज्यादा मतों से हराया। जून 2021 में रेवंत को बड़ी जिम्मेदारी मिली, जब कांग्रेस ने उन्हें अपनी तेलंगना प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बना दिया। इस विधानसभा चुनाव में रेवंत तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के सामने चुनाव लड़े। यह मुकाबला कामारेड्डी विधानसभा सीट पर था। यहां रेवंत और केसीआर दोनों को भाजपा उम्मीदवार से हार झेलनी पड़ी। हालांकि, रेवंत ने दूसरी सीट कोडांगल से चुनाव जीत लिया।