इस्राइल ने इस महीने की शुरुआत में एक युद्धविराम प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया था। मिस्र ने चुपचाप इस प्रस्ताव की शर्तों को बदल दिया। इस प्रस्ताव में इस्राइली बंधकों और फलस्तीनी कैदियों की रिहाई के साथ अस्थाई रूप से युद्ध को समाप्त करने की बात कही गई थी। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका और कतर का मानना है कि इस्राइल के बाद हमास ने छह मई को जिस युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, वह प्रस्ताव इस्राइल के सामने पेश हुए प्रस्ताव से बिलकुल अलग था। मिस्र के अधिकारियों द्वारा प्रस्ताव में किए गए बदलाव को पहले नहीं बताया गया था, इससे अमेरिका, कतर और इस्राइल में गुस्से की लहर फैल गई।
एक सूत्र ने कहा, “हम सब ठगे गए।” अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के निदेशक बिल बर्न्स ने युद्धविराम समझौते के लिए अमेरिका के प्रयासों का नेतृत्व किया था। मिस्र ने जब समझौते की शर्तों को बदल दिया, तब वह उसी क्षेत्र में उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि उन्हें ऐसा लग रहा था कि उन्हें इसके बारे में कोई सूचना नहीं दी गई और उन्होंने इस्राइलियों को भी इसके बारे में नहीं बताया।
मिस्र के खुफिया अधिकारी परिवर्तन के लिए जिम्मेदार
सूत्रों ने बताया कि मिस्र के वरिष्ठ खुफिया अधिकारी अहमद अब्देल खालेक इन परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार हैं। बता दें कि अहमद अब्देल खालेक मिस्र के खुफिया प्रमुख अब्बास कामेल के डिप्टी हैं। अब्देल खालेक ने इस समझौते को लेकर इस्राइलियों को अलग बात बताई और हमास से कुछ और कहा। सूत्रों के अनुसार, हमास की अधिकांश मांगों को समझौते में शामिल किया गया था, जिसके बारे में इस्राइलियों को नहीं बताया गया।
सभी पक्ष यही मान रहे थे कि मिस्र ने हमास के सामने उसी समझौते को रखा, जिस पर इस्राइल ने मधयस्थ देशों के सामने हस्ताक्षर किया था। ऐसा बताया गया कि अमेरिका और कतर को इसकी जानकारी थी। हालांकि, अभी तक मिस्र सरकार ने इसे लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।