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तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंची राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति, कहा- देश सेवा के लिए मेहनत करूंगी

तिरुपति:  राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति आज तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंची। यहां उन्होंने भगवान की पूजा अर्चना की। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्यसभा सदस्य के रूप में चुने जाने पर मैं बहुत खुश हूं। मैं अपने देश की सेवा के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगी। बता दें, मूर्ति समाजसेवी और लेखिका भी हैं।

कौन हैं सुधा मूर्ति?
सुधा मूर्ति प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका हैं। सुधा मूर्ति ने आठ उपन्यास लिखे हैं। वह भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी टेल्को में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर भी हैं।

सुधा मूर्ति की पारिवारिक पृष्ठभूमि
सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन के संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी हैं। सुधा मूर्ति के दो बच्चे हैं, बेटी अक्षता मूर्ति और बेटा रोहन मूर्ति। अक्षता नारायण मूर्ति ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय फैशन डिजाइनर हैं और यूके के प्रधानमंत्री की पत्नी हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सुधा मूर्ति के दामाद हैं। रोहन मूर्ति, मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया के साथ ही एक डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन स्टार्ट अप सोरोको के संस्थापक हैं।

सुधा मूर्ति का जीवन परिचय और शिक्षा
सुधा मूर्ति का जन्म उत्तरी कर्नाटक में शिगांव में 19 अगस्त 1950 को हुआ था। सुधा के पिता का नाम आर.एच कुलकर्णी और माता विमला कुलकर्णी है। उन्होंने बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। सुधा इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच दाखिला पाने वाली पहली महिला थीं। जब वह क्लास में प्रथम आईं तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें पदक से सम्मानित किया। बाद में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री ग्रहण की।

सुधा मूर्ति का करियर
भारत की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता कंपनी टेल्को में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर सुधा मूर्ति बनीं। पुणे में विकास अभियंता के रूप में काम करने के बाद उन्होंने मुंबई और जमशेदपुर में भी काम किया। पति ने जब इंफोसिस फाउंडेशन की स्थापना की तो सुधा मूर्ति ने उन्हें 10000 रुपये उधार दिए और अपनी नौकरी छोड़कर कंपनी शुरू करने में पति नारायण मूर्ति की मदद की।