भारतीय कंपाउंड तीरंदाजी टीम के कोच जीवनजोत सिंह तेजा के पुत्र हरकुंवर सिंह तेजा ने कनाडा के लिए पैन अमेरिकन यूथ तीरंदाजी चैंपियनशिप में विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण पदक जीता है। जीवनजोत वही तीरंदाजी कोच हैं, जिन्होंने उपेक्षाओं से दुखी होकर भारत छोड़ दिया था। अंतिम क्षणों में द्रोणाचार्य अवॉर्ड से नाम काटे जाने के चलते वह पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला की नौकरी छोड़ परिवार समेत कनाडा में चले गए थे।
2020 में बेटे को सिखाना शुरू की तीरंदाजी
जीवनजोत के मुताबिक उन्होंने प्रण लिया था कि जो सम्मान उन्हें नहीं मिला वह अपने बेटे के जरिए हासिल करेंगे। उन्होंने कनाडा में ही 2020 में बेटे को तीरंदाजी सिखाना शुरू किया, लेकिन भारत का मोह वह नहीं छोड़ पा रहे थे। हांगझोऊ एशियाई खेलों में तीन स्वर्ण जीतने वाली ज्योति सुरेखा और अन्य शिष्यों के दबाव में वह द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए आवेदन करते रहे। उनके शिष्यों का प्यार रंग लाया और जिस द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए 2018 में उनका नाम चयनित होने के बावजूद काटा गया, 2022 में उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया। जीवनजोत ने इसके बाद भारत आने का फैसला लिया। वह इस वक्त भारतीय कंपाउंड तीरंदाजी टीम के कोच हैं।
भारत में आकर तैयारी की
जीवनजोत के मुताबिक बेटा कनाडा में ही शिक्षा अर्जित कर रहा है, लेकिन तीरंदाजी सीखने के लिए उनके पास यहां आता है। पैन अमेरिकन चैंपियनशिप के लिए वह उनके पास यहां तीन माह रहकर गया। यहां उन्होंने उसे तैयारी कराई, जिसका नतीजा यह निकला कि हरकुंवर ने अंडर-15 कंपाउंड ओपन वर्ग के मुकाबले में 720 में से 682 का स्कोर कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। फाइनल में हरकुंवर ने कोलंबिया के अल्मारियो फ्लोरेस जुआन एस्तेबान को 145-140 से पराजित किया। जीवनजोत इसी माह कोरिया में होने जा रहे विश्वकप में भारतीय टीम के साथ बतौर कोच जा रहे हैं।