बॉम्बे हाईकोर्ट ने 7/11 सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के दोषी को लेकर मुंबई विश्वविद्यालय से एक सवाल किया है। अदालत ने विश्वविद्यालय से पूछा है कि क्या दोषी कानून की ऑनलाइन परीक्षा दे सकता है। न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि सुरक्षा कारणों के चलते मोहम्मद साजिद मरघूब अंसारी को ऑनलाइन परीक्षा देने की अनुमति दी जा सकती है।
यह है घटना
11 जुलाई 2006 का दिन इतिहास के पन्नों में ब्लैक डे के तौर पर दर्ज है। क्योंकि इस दिन मुंबई की लोकल ट्रेनों में एक नहीं बल्कि सात बम धमाके हुए थे। इन धमाकों ने मुंबई को हिलाकर रख दिया था। इस धमाके में 189 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 824 लोग घायल हो गए थे। सितंबर 2015 में एक विशेष अदालत ने अंसारी और अन्य को विस्फोट मामले में दोषी ठहराया था।
परीक्षाओं में बैठने की अनुमति मांगी
अंसारी ने दक्षिण मुंबई के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज द्वारा तीन मई से 15 मई तक आयोजित विधि के दूसरे सेमेस्टर की परीक्षाओं में बैठने की अनुमति मांगी थी। अदालत ने तब उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति दी और नासिक केंद्रीय जेल अधिकारियों को उसे परीक्षा की तारीखों पर कॉलेज ले जाने का निर्देश दिया था। हालांकि,10 मई को अंसारी ने एक याचिका देकर कहा कि वह तीन और नौ मई को हुई परीक्षा नहीं दे सके थे।
जेल अधीक्षक को हलफनामा दायर करने का निर्देश
अभियोजन पक्ष ने कहा कि नासिक केंद्रीय कारागार के अधिकारियों द्वारा वास्तविक प्रयासों के बावजूद अंसारी को समय पर कॉलेज नहीं ले जाया जा सका था। इस पर पीठ ने जेल अधीक्षक को पांच जून तक यह बताने के लिए कि आखिर देरी क्यों हुई, एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
मुंबई विश्वविद्यालय से किया यह सवाल
अदालत ने मुंबई विश्वविद्यालय की ओर से पेश अधिवक्ता रुई रॉड्रिग्स से पूछा कि क्या अंसारी को ऑनलाइन परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकती है, जिस पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई सुविधा नहीं है। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में अजीबोगरीब तथ्यों को देखते हुए सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर उम्मीदवार को ऑनलाइन परीक्षा देने की अनुमति देना जरूरी है।
अदालत ने मुंबई विश्वविद्यालय को ऐसे उम्मीदवारों को ऑनलाइन मोड के माध्यम से उपस्थित होने की अनुमति देने के लिए अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘हम मुंबई विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकार से अनुरोध करते हैं कि वह इस पहलू पर गौर करें और एटीएस (महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते) सहित सभी संबंधितों के साथ परामर्श करने के बाद अपना रुख रखें।’