नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निजी कंपनी या पार्टी से जुड़े अनुबंध को रद्द करने के मामले में अहम टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि प्राइवेट पार्टियों के अनुबंध कारण बताए बिना रद्द नहीं किए जाने चाहिए। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि बिना कोई कारण बताए किसी अनुबंध को कैसे समाप्त किया जा सकता है? इस टिप्पणी के साथ अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, एक निजी पार्टी अनुबंध हासिल करने के बाद रिटर्न पाने की आशा के साथ निवेश करता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि निवेश के बाद रिटर्न की आशा करना भी उचित है। अनुबंध रद्द करने के मामले में शीर्ष अदालत की जिस तीन जजों की पीठ में सुनवाई हो रही है, इसमें चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। मामले से जुड़े तथ्यों का जिक्र करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, हाईकोर्ट के आदेश में अनुबंध रद्द करने का कोई कारण नहीं बताया गया है। सभी पक्षकारों की दलीलों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा, शीर्ष अदालत इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख रही है।
गौरतलब है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 25 मई, 2023 को पारित आदेश में एकल न्यायाधीश का फैसला बरकरार रखा था। हाईकोर्ट ने सुबोध कुमार सिंह राठौड़ के फर्म को आवंटित अनुबंध को रद्द करने की मंजूरी दी थी। कंपनी को कोलकाता में ईस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाईपास पर दो अंडरपास के रखरखाव का ठेका मिला था।