अगर आप अकसर दूसरे बैंकों का एटीएम इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। एटीएम पर आने वाले खर्च या लागत पर नए सिरे से विचार किया जा रहा है। इसके तहत दूसरे बैंकों के एटीएम से रकम निकालने या लेनदेन करने पर शुल्क (इंटरचेंज शुल्क) बढ़ाकर 20 से 23 रुपये तक किया जा सकता है। इसके अलावा ज्यादा नकद निकालने पर भी अतिरिक्त शुल्क लिया जा सकता है। वहीं, जिन क्षेत्रों में एटीएम की कमी है, वहां शुल्क कम रखने पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के लाभार्थी एटीएम से आराम से रुपये निकाल सकें।
एटीएम उद्योग परिसंघ और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच बैठक
हाल ही में एटीएम उद्योग परिसंघ और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच एक बैठक हुई। इसमें इन मुद्दों को लेकर चर्चा हुई। नई सरकार के गठन के बाद इन शुल्क में बदलाव हो सकते हैं। दरअसल, इंटरचेंज शुल्क तब लगाया जाता है, जब आप किसी दूसरे बैंक के एटीएम या व्हाइट लेबल एटीएम पर जाकर अपने कार्ड से लेनदेन करते हैं। यह शुल्क आपके बैंक से वसूला जाता है। पहले यह शुल्क 15 रुपये प्रति लेनदेन था, जिसे एक अगस्त 2021 को बढ़ाकर 17 रुपये कर दिया गया। गैर वित्तीय लेनदेन पर शुल्क 5 रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये कर दिया गया। मगर 2012 में एटीएम इंटरचेंज शुल्क 18 रुपये था, जिसे घटाकर 15 रुपये किया गया था।
एटीएम में ज्यादा बार भरने पड़ते हैं नोट
दरअसल, रिजर्व बैंक ने एटीएम इंटरचेंज शुल्क व्यवस्था की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की थी। इसका गठन इसलिए किया था कि जहां बैंक कम वहां एटीएम तेजी से लगाए जाए सके। इस समिति को रिपोर्ट सौंपे काफी समय हो चुका है। रिपोर्ट में समिति ने बताया है कि किराये, ईंधन के खर्च, नकदी भरने के शुल्क और गृह मंत्रालय की सुरक्षा शर्तों का पालन करने के कारण लागत बहुत बढ़ गई है। 2,000 रुपये के नोट बंद होने के बाद अब एटीएम में नोट भी ज्यादा बार भरने पड़ते हैं।