नई दिल्ली। सोनिया गांधी फिर से राजनीति में सक्रिय दिख रहीं हैं. इसका असर भी दिख रहा है. वो लगातार खबरों में आ रही हैं. इसीके बीच एक खबर आई कि सोनिया ने कांग्रेस कमेटी के प्लेनरी सेशन के भाषण में ‘बलात्कार’ शब्द इस्तेमाल किया. कहा जा रहा है कि इंदिरा गांधी की चिकमंगलूर में भारी जीत का जिक्र करते हुए सोनिया ने कहा, ‘इंदिरा जी की शानदार जीत ने देश की राजनीति को ‘बलात्कार’ रख दिया.’ जबकि वो कहना चाहती थीं कि इंदिरा गांधी ने देश की राजनीति को पलटकर रख दिया.
Meanwhile in #CongressPlenary
Sonia Gandhi says –
Indira ji ki shaandaar jeet se desh ki rajniti kaa balatkar ho gaya!!!! ?? pic.twitter.com/QROAlwN10g— Rishi Bagree ?? (@rishibagree) March 17, 2018
सोनिया गांधी ने पलटकर ही कहा है. क्योंकि उनकी मूल भाषा इटैलियन है. इसलिए इसे सुनकर भ्रम होता है. लेकिन ये वैसी घटना नहीं है जैसी पेश की जा रही है. सोनिया जब से राजनीति में हैं, लगातार हिंदी में ही भाषण दे रही हैं. ऐसा भी नहीं होता है कि वो हिंदी बस रट कर बोल देती हों. उन्हें कम से कम इतनी हिंदी तो आती है कि बलात्कार और पलट कर का अंतर पता हो.
I appreciate Shrimati Sonia Gandhi ji for accepting the truth pic.twitter.com/j1lIRRp7OH
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) March 17, 2018
महात्मा गांधी का प्रभाव देश की राजनीति पर सबसे ज्यादा है. कभी उनके भाषण सुनिए, बेहद धीमे बोलने वाले बापू, स और श का अंतर नहीं करते थे. उनके भाषण अगर आज के इन कथित मानकों पर देखें जाएं तो वो अप्रभावी नेता माने जाएंगे. और ये वही सोनिया गांधी है जिनके सामने 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी थे. सोनिया जिनका उच्चारण साफ नहीं था. वाजपेयी, जिनको भारतीय राजनीति के सार्वकालिक वाककुशल नेताओं में से एक माना जाएगा. जीत किसकी हुई, सब जानते हैं.
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि भारतीय राजनीति में उच्चारण का असर नहीं पड़ता है. देश का प्रधानमंत्री बनने का रास्ता उत्तर प्रदेश, एमपी, बिहार जैसे राज्यों से होकर ही जाता है. ऐसे में प्रणव मुखर्जी, जैसे कई दिग्गज गाहे-बगाहे मान ही चुके हैं कि पीएम बनने के लिए साफ हिंदी बोलना लगभग जरूरी है.
जब हर्षवर्धन जैसे नेता (जो पेशे से डॉक्टर रह चुके हैं) स्टीफन हॉकिंग के नाम पर आइंस्टीन की थ्योरी को गलत बता रहे हों, आईपीएस रह चुके सत्यपाल सिंह विज्ञान की ऐसी-तैसी करने वाली बाते कर रहे हों, सोनिया गांधी के उच्चारण का मजाक उड़ाना तो छोड़ा जा सकता है.