नई दिल्ली। मोदी सरकार को केंद्र में लगभग 4 साल हो गए हैं और अब अगले आम चुनावों की तैयारियां भी जोरों पर हैं. लेकिन इस बीच मोदी सरकार के लिए विपक्षी और साथी दल मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं. शुक्रवार को संसद में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है. इसी बीच चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी एनडीए से अलग हो गई है. आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जा ना मिलने से नाराज़ टीडीपी ने शुक्रवार सुबह ये बड़ा फैसला लिया.
आपको बता दें कि इस मुद्दे को लेकर पहले ही टीडीपी कोटे के मंत्रियों ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया था. वहीं बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने राज्य सरकार से अपना इस्तीफा दे दिया था. चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार शाम को अपने सांसदों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की थी. कुछ देर में चंद्रबाबू नायडू बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को ई-मेल और फैक्स के जरिए इस बात की आधिकारिक जानकारी देंगे.
टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने इस मुद्दे को लेकर पार्टी की सबसे बड़ी निर्णय लेने वाली कमेटी पोलित ब्यूरो के साथ बैठक की. नायडू ने एनडीए से अलग होने का फैसला इसी बैठक में लिया. टीडीपी का आरोप है कि बीजेपी ने आंध्र प्रदेश के साथ सही तरीके से बर्ताव नहीं किया. इसी बैठक में पार्टी ने फैसला किया है कि वह लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगी.
आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी. वाईएसआर पार्टी के 6 सांसदों ने शुक्रवार के लिए लोकसभा महासचिव को प्रस्ताव का नोटिस दिया है. मतलब साफ है कि अब टीडीपी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकती है.
टीडीपी का पूरा समर्थन
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग टीडीपी लगातार कर रही है. टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी प्रस्ताव को समर्थन करने का ऐलान किया है. विधानसभा में नायडू ने कहा कि अगर जरुरत पड़ी टीडीपी केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी. जगन मोहन रेड्डी ने भी नायडू को पत्र लिखकर समर्थन देने की अपील की है. इसके अलावा टीआरएस भी राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रही है.
विपक्ष का समर्थन जुटाने की अपील
जगन मोहन रेड्डी की पार्टी इसके लिए अन्य विपक्षी दलों से समर्थन भी जुटा रही है. पार्टी के सांसद जगन की ओर से लिखे गए एक पत्र को संसद के भीतर विपक्षी सांसदों के बीच बांट रहे हैं और उनसे इस प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील कर रहे हैं. सदन में इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है.
क्या होगी प्रक्रिया?
नियमों के मुताबिक, सबसे पहले लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन वाईएसआर कांग्रेस के किसी सांसद को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने को कहेंगी. जिसके बाद करीब 50 सांसदों को इसका समर्थन करने के लिए खड़ा होना होगा, तभी इसके आगे की प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन इसमें भी एक पेंच है, ये प्रस्ताव तभी पेश हो सकता है कि जब सदन ऑर्डर में हो, अगर कोई सांसद इस दौरान हंगामा कर रहा हो तो प्रस्ताव पेश करने में मुश्किल हो सकती है.
अभी क्या है लोकसभा में स्थिति?
भारतीय जनता पार्टी – 272 + 1 (स्पीकर)
कांग्रेस – 48
AIADMK – 37
तृणमूल कांग्रेस – 34
बीजेदी – 20
शिवसेना – 18
टीडीपी – 16
टीआरएस – 11
सीपीआई (एम) – 9
वाईएसआर कांग्रेस – 9
समाजवादी पार्टी – 7
इनके अलावा 26 अन्य पार्टियों के 58 सांसद
5 सीटें अभी भी खाली हैं.