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कैसरगंज सीट पर अब भी सस्पेंस कायम, भाजपा के दो पैनलों में चार नामों पर हो रही चर्चा

कद्दावर, किलेबंदी और किरदार। अरसे तक जेहन में यही अल्फाज कैसरगंज की सियासत का खाका खींचते रहे। चुनावी मौसम के मौजूदा दौर में कैसरगंज संसदीय सीट के लिए एक ही शब्द बिल्कुल सटीक बैठता है और वह है कौतूहल। हाई प्रोफाइल क्षेत्र में सियासी अखाड़ा तैयार है। इंतजार है तो बस पहलवानों का। यहां सत्ताधारी भाजपा के साथ-साथ सपा और बसपा ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सपाई, भाजपा की लिस्ट का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा हाईकमान ने सस्पेंस गहरा कर दिया है। बसपा को दोनों दलों के बागियों की सरगर्मी से तलाश है।

बहराइच और गोंडा दो जिलों की पांच सीटों से बना यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से उर्वर है। तीस वर्षों से जिले की राजनीति में दखल रखने वाले पहलवान बृजभूषण शरण सिंह छह दफा सांसद रह चुके हैं। गोंडा, बलरामपुर के बाद कैसरगंज लोकसभा से वह तीसरी बार लगातार चुने गये। साल 2009 में सपा फिर 14 और 19 में भाजपा प्रत्याशी के रूप उन्होंने जीत हासिल की। मंडल के साथ-साथ प्रदेश की अधिकांश सीटों पर भाजपा उम्मीदवार तेजी पकड़ चुके हैं, लेकिन कैसरगंज में मामला फीका है। दो प्रमुख फेहरिस्तों में अधिकृत प्रत्याशियों के ऐलान में बृजभूषण का नाम न होना चर्चा में है।

महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों से घिरने के बाद बृजभूषण ने तमाम मोर्चेबंदी की, लेकिन उनके अखाड़े की सियासी पकड़ राष्ट्रीय राजधानी में लगातार ढीली पड़ती गई। लंबा सियासी तजुर्बा रखने वाले जिले के बड़े राजनेता कहते हैं कि ऐसा सस्पेंस पहले नहीं दिखा।

भाजपा के दो पैनलों में चार नामों पर चर्चा
कैसरगंज लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवारों के रूप में तीन लोगों का नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा गया था। इसमें सांसद बृजभूषण शरण सिंह, तरबगंज विधायक प्रेमनरायन पांडेय और करनैलगंज विधायक अजय सिंह भी शामिल थे। तीनों दावेदारों के नाम पर पहले प्रदेश फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई। इसके बाद प्रदेश प्रभारी बैजयंत जय पांडा ने बची सीटों पर दो-दो अन्य दावेदारों की लिस्ट जुटाई। इनमें तरबगंज विधायक के साथ कटराबाजार विधायक का नाम भी रहा।