रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
सुंदर विग्रह मेघश्याम,
गंगा तुलसी शालग्राम
भद्रगिरीश्वर सीताराम,
भगत-जनप्रिय सीताराम
जानकीरमणा सीताराम,
जयजय राघव सीताराम
यह वो असली राम धुन है जिसे लक्षमणाचार्य द्वारा लिखी गयी “नाम रामायण” पुस्तक में से लिया गया है। विष्णु दिगंबर पुलस्कर ने इसकी संगीत संयॊजना की थी। लेकिन मूल स्वरूप में इस भजन में ईश्वर अल्लाहका उल्लेख ही नहीं था। उसे महात्मा गांधी ने उसमें जोड़ा था। अपने दंडी मार्च के आदोंलन के समय गांधीजी ने इस भजन को तोड़ मरोड़ कर उसमें अल्लाह का नाम जोड़ दिया। अब सवाल यह है कि मूल भजन में छेड़ छाड़ करने की आवश्यकता क्या थी?
कुछ लोगों का कहना है कि हिन्दू-मुस्लिम समुदाय में एकता लाने के लिए गांधी जी ने यह शब्द उसमें जोड़ा।अगर हिन्दू-मुस्लिम एकता की इतनी ही चिंता थी तो गांधी जी ने अपने जीते जी मुस्लिमों के लिए अलग देश होने कैसे दिया? ईश्वर और अल्लाह एक ही थे तो धर्म के आधार पर देश का बटवारा कैसे होने दिया? जब उनके अपने बेटे हरिलाल ने इस्लाम स्वीकारा तब वे आहत क्यों हुए और उससे रिश्ता क्यों तोड़ दिया?
गांधी जी ने हमेशा से ही हिन्दुओं के साथ अन्याय ही किया था। हिन्दु और मुस्लिमों के झगड़े में वे हमेशा मुसलमानों का ही पक्ष लेते थे। अगर हिन्दु-मुस्लिम एक समान थे तो वो हमेशा हिन्दुओं को मुस्लिमों के खिलाफ़ हथ्यार न उठाने के निर्देश क्यों देते रहें? हिन्दु औरतों पर मुसलमानों द्वारा की गयी बदसलूकी का समर्थन क्यों करते रहे? यहां तक की हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान के लिए जन्मी ‘आर्य समाज’ के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद की हत्या को समर्थन देते हुए उसके हत्यारे अब्दुल रशीद को ” मेरा भाई” क्यों कहा?
स्वामी श्रद्धानंद ने भारत के आज़ादी के आंदॊलन में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। पंजाब में मार्शल लॉ और दिल्ली में रौलत कानून के खिलाफ़ आदोंलन का नेतृत्व भी उन्होंने किया था। कांग्रेस में रहते उनको यह आभास हुआ कि कांग्रेस के मुस्लिम कांग्रेस में रहकर भी मुस्लिम ही थे। वे अपने ‘नमाज़’ के लिए पार्टी की मीटिंग तक रुकवाते थे। लेकिन कांग्रेस में हिन्दुओं की बहुत दुर्दशा होती थी। क्या यही था गांधी जी का ईश्वर अल्लाह नारा? जिसमें हिन्दुओं के साथ भेद भाव किया जाता था? इसी कारण से स्वामी श्रद्धानंद ने कांग्रेस त्याग दिया और मदन मॊहन मालवीय के साथ मिलकर ‘हिन्दु महासभा’ का गठन किया।
वहां से उन्होंने हिन्दु धर्म के पुनरुत्थान के लिए कार्य करना शुरू किया साथ ही साथ दलितों के साथ होने वाले अस्पृश्यता के खिलाफ़ भी काम किया। इस्लाम में धर्मांतरित हिन्दुओं को मातृ धर्म में घर वापसी करने का कार्य उन्होंने ही शुरु किया था। बढ़ती हुई मुस्लिम संख्या के कारण हिन्दुओं पर खतरा मंडरा रहा था। इस्लाम में परिवर्तित पांच लाख रजपूतों को उन्होंने हिन्दु धर्म में घर वापसी करवाया। इसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन के विरुद्ध भी उन्होंने आंदॊलन छेड़ा और कई सारे गांवों का शुद्धीकरण करवाकर हज़ारों लोगों को मातृ धर्म में वापस ले आये थे। उनका यह कार्य एक आंदॊलन का रूप ले रहा था। दिल्ली के जामा मस्जिद में अपने भाषण से पहले वेद मंत्रॊ का उच्चारण करनेवाले पहले व्यक्ति थे स्वामी जी। उनके बढ़ते वर्चस्व से स्वामी जी अंग्रेज़ों और उनके “एजेंटॊं” के आंख में खटक रहे थे।
अगर गांधी जी ने अब्दुल रशीद द्वारा स्वामी जी की हत्या को अपराध नहीं माना तो गॊड्से द्वारा गांधी जी की हत्या भी अपराध नहीं हुई। गांधी जी ने हर बार ही मुसलमानों द्वारा किये गये घृणित कार्य को भी जायज़ ठहराया है और हिन्दुओं के साथ हमेशा अन्याय किया है। जब आप हिन्दु और मुस्लिम को एक मानते ही नहीं हो तो रघुपति राघव में ईश्वर अल्लाह जोड़ना कितना सही है? आप खुद ही सॊचिये।
वास्तव में स्वामी श्रद्धानंद जी ही महात्मा थे जिन्होंने भारत के आज़ादी और हिन्दू धर्म की पुनरुत्थान के लिए अपने प्राणॊं का बलिदान दिया था। महात्मा मुन्शी राम विज, स्वामी श्रद्धानंद जी की चरण वंदना करते हैं और उनकी बलिदान को नमन करते हैं।