दुनियाभर में 70 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले कोविड वायरस को लेकर ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा, वायरस प्राकृतिक नहीं है। एक विशेष उपकरण से वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड वायरस के लैब रिसाव की वजह से दुनिया में फैलने की आशंका 50% है। मूल रूप से प्राकृतिक महामारी और जानबूझकर किए गए जैविक हमलों के बीच अंतर करने के लिए डिजाइन किए गए ग्रुनो-फिन्के टूल (एमजीएफटी) को संशोधित कर वैज्ञानिकों ने कोविड वायरस का विश्लेषण किया। एमजीएफटी को छोटे स्तर के प्रकोपों के लिए तैयार किया गया, जिसे न्यू साउथ वेल्स व जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने संशोधित किया।
टूल का पहली बार कोविड महामारी के लिए इस्तेमाल
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में चल रहे बैट वायरस अनुसंधान के जैविक जोखिम, असामान्य तनाव और महामारी की तीव्रता और गतिशीलता जैसे कारकों को 3, 3 और 2 अंक मिले, जबकि नैदानिक लक्षणों को 2 अंक मिले। स्कोर की गणना करने के लिए प्रत्येक मानदंड को एक भार कारक (1-3) से गुणा किया गया था। इसके आधार पर 50 फीसदी ज्यादा अंतिम स्कोर आया, जो बताता है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक नहीं थी। इस टूल को पहली बार कोविड महामारी के संदर्भ में इस्तेमाल किए जाने को लेकर शोधकर्ताओं ने कहा कि इन नतीजों का दूसरे तरीकों से परीक्षण किया जा सकता है।
व्यापक विश्लेषण किया
वैज्ञानिकों ने सिफारिश करते हुए कहा कि एमजीएफटी एक जोखिम विश्लेषण ढांचा प्रदान करता है। इसे प्राकृतिक और अप्राकृतिक महामारी के बीच अंतर करने के लिए लागू किया जा सकता है और इस उपकरण को महामारी की उत्पत्ति की जांच के लिए टूलसेट में शामिल किया जाना चाहिए। इस अध्ययन में पारंपरिक वायरोलॉजी, महामारी विज्ञान और चिकित्सा कारकों से लेकर स्थितिजन्य और अन्य बुद्धिमत्ता तक के कारकों के आधार पर व्यापक विश्लेषण किया गया है। इसे लेकर वैज्ञानिक काफी हद तक आश्वस्त हैं।