खराब कानून व्यवस्था और दहशतगर्दों की गतिविधियों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहने वाला मुल्क पाकिस्तान अपनी न्याय प्रणाली के कारण चर्चा में है। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री को निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल सका। अदालत ने कहा कि मुकदमे में निष्पक्ष सुनवाई के बगैर पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी की सजा दे दी गई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने यह अहम आदेश पारित किया। अदालत की नौ जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से पारित आदेश में कहा कि 45 साल पहले सैन्य शासन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को सजा-ए-मौत तो दी गई, लेकिन उन्हें मुकदमे में निष्पक्ष ट्रायल नसीब नहीं हुआ।
2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
कोर्ट ने लगभग 13 साल के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा वाले तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश की वैधता पर सुनवाई की। गौरतलब है कि साल 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अपने ससुर जुल्फिकार अली भुट्टो की फांसी को हत्या बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति ईसा ने चीफ जस्टिस बनने के बाद 2023 में इस मुकदमे पर सुनवाई शुरू की।